बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन की ओर से आयोजित दो दिनों के उत्सव में समस्त भारतीय भाषाओं के उन्नयन एवं हिन्दी को ‘राष्ट्र-भाषा’ बनाए जाने पर चर्चा होगी।यह जानकारी देते हुए, बिहार हिंन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ कहा है कि शताब्दी-समारोह के साथ ही सम्मेलन का 43 वाँ महाधिवेशन भी आयोजित होगा। दो दिनों के इस भव्य समारोह में, ‘एक राष्ट्र:एक राष्ट्राभाषा’ सहित समस्त भारतीय भाषाओं के हित-रक्षण के उपायों पर भी चिंतन किया जाएगा।
राष्ट्रपति को दिया जा चुका है आमंत्रण
डॉ. सुलभ ने बताया कि गत माह समारोह की स्वागत-समिति के अध्यक्ष और पूर्व सांसद डा रवीन्द्र किशोर सिन्हा ने इस प्रसंग में भारत की माननीया राष्ट्रपति जी से भेंट कर औपचारिक रूप से आमंत्रण दिया और विगत 5 जुलाई को काठमाण्डू में नेपाल के उपराष्ट्रपति राम सहाय यादव से मिल कर स्वयं डा सुलभ ने उन्हें आमंत्रित किया है। उनके साथ नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री उपेन्द्र यादव भी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित होंगे। राष्ट्रपति महोदया द्वारा तिथि निर्धारित होते ही तैयारी को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
‘बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन का इतिहास’ नामक ग्रंथ का होगा प्रकाशन
डा सुलभ ने कहा कि इस अवसर पर सम्मेलन के 100 वर्षों के गौरवशाली ‘बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन का इतिहास’ नामक बृहद ग्रंथ का प्रकाशन भी किया जाएगा। इस पुस्तक के माध्यम से बिहार में हिन्दी के क्रमिक विकास और साहित्य सम्मेलन के महान योगदान से परिचित हुआ जा सकेगा। दो दिनों के इस भव्य समारोह में चार वैचारिक-सत्र, एक भव्य अंतर्राष्ट्रीय कवि-सम्मेलन, एक भव्य सांस्कृतिक-संध्या और सम्मान-समारोह आयोजित होंगे।
सज-धज कर तैयार हो रहा है सम्मेलन भवन
सम्मेलन-भवन का रंग-रोगन का कार्य आरंभ हो चुका है, जिसे समय से पूर्व संपन्न कर लिया जाएगा। इस हेतु सक्षम हिन्दी-प्रेमियों से सहयोग के लिए आग्रह किया जा रहा है। वैचारिक-सत्रों और अन्य आयोजनों के उद्घाटन के लिए अलग-अलग अतिथियों और विद्वानों को आमंत्रित किया जा रहा है। अगस्त के प्रथम सप्ताह में सम्मेलन की कार्यसमिति और स्वागत समिति की संयुक्त बैठक आयोजित होगी, जिसमें तैयारियों की समीक्षा की जाएगी।
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