नई दिल्ली : वर्ष 2008 में मुंबई में हुए भीषण आतंकवादी हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक, पाकिस्तानी मूल के ताहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया है। एक विशेष विमान बुधवार शाम अमेरिका से रवाना हुआ और राणा गुरुवार दोपहर बाद दिल्ली पहुंचा है। इस विशेष अभियान को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और रॉ (RAW) की संयुक्त टीम अंजाम दे रही है। अब राणा को दिल्ली की एक अदालत में पेश किया जाएगा।
कौन है ताहव्वुर राणा?
ताहव्वुर हुसैन राणा का जन्म 12 जनवरी 1961 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चिचावतनी शहर में हुआ था। उसने कैडेट कॉलेज हसन अब्दाल से शिक्षा प्राप्त की, जहां उसकी मित्रता डेविड कोलमैन हेडली से हुई। यह मित्रता आगे चलकर आतंकवादी गतिविधियों में साझेदारी का रूप ले ली। राणा ने पाकिस्तान आर्मी मेडिकल कोर में बतौर कैप्टन सेवा दी और बाद में 1997 में अपनी पत्नी के साथ कनाडा चला गया। 2001 में दोनों को कनाडा की नागरिकता प्राप्त हुई।
इसके बाद राणा अमेरिका के शिकागो में बस गया और ‘फर्स्ट वर्ल्ड इमीग्रेशन सर्विसेज’ नाम से एक व्यवसाय शुरू किया, जिसकी शाखाएं शिकागो, न्यूयॉर्क और टोरंटो में थीं। उसने एक ‘हलाल स्लॉटरहाउस’ भी खोला, जहां इस्लामी विधियों के अनुसार मवेशियों का वध किया जाता था।
आतंकी साजिशों में संलिप्तता
ताहव्वुर राणा पर आरोप है कि उसने डेविड हेडली को मुंबई में एक फर्जी कार्यालय स्थापित करने में सहायता की, जिसका उपयोग 26/11 हमलों की योजना और निगरानी के लिए किया गया। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा दाखिल चार्जशीट के अनुसार, राणा ने न केवल वित्तीय सहायता प्रदान की बल्कि लॉजिस्टिक सपोर्ट भी दिया।
इसके अलावा राणा डेनमार्क स्थित अखबार Jyllands-Posten के खिलाफ एक अन्य आतंकी साजिश में भी शामिल रहा, जिसे “मिकी माउस प्रोजेक्ट” के नाम से जाना गया। इस साजिश का मकसद कार्टून विवाद के चलते अखबार के कर्मचारियों की हत्या करना था, हालांकि यह योजना हेडली की गिरफ्तारी के चलते विफल रही।
राणा को 2009 में अमेरिका में गिरफ्तार किया गया था। अमेरिका में लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद, सभी कानूनी विकल्प समाप्त होने के पश्चात अब उसे भारत लाया गया है।
क्या हो सकता है आगे?
भारत आने के बाद ताहव्वुर राणा को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) अपनी हिरासत में लेकर उससे पूछताछ करेगी। माना जा रहा है कि राणा से 26/11 हमलों के संबंध में कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिल सकती हैं, जो अब तक रहस्य बनी हुई हैं। इसके अतिरिक्त, उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC), गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA), और आतंकी संगठन से संबंध रखने के तहत विभिन्न धाराओं में केस दर्ज है।
यह प्रत्यर्पण भारत के लिए आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी कूटनीतिक और कानूनी जीत मानी जा रही है।
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