किताब का हिसाब : ‘झारखंड में मीडिया अतीत, वर्तमान एवं भविष्य’ हुआ प्रकाशित

"आज दुनिया की पत्रकारिता में सृष्टि, प्रकृति और पर्यावरण के संकट को सबसे बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। उस पर बात हो रही है। इन विषयों पर जर्नलिज्म में एक मॉडल बनने की गुंजाइश भी यहाँ ज्यादा है।" -हतिवंश ,उपसभापति,राज्यसभा , भारत सरकार।

Written By : प्रमोद कुमार झा | Updated on: November 4, 2024 10:18 pm

Book Review : देश के हिंदी पत्रकारिता के एक प्रमुख स्तंभ, तीन दशकों से अधिक समय तक हिंदी के शीर्ष पत्र पत्रिकाओं से सम्बद्ध और संप्रति राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश जी ने ये बातें ‘झारखंड में मीडिया अतीत, वर्तमान एवं भविष्य ‘ की भूमिका में लिखी है।

हाल में ही प्रकाशित इस शोधपूर्ण पुस्तक को “प्रलेक प्रकाशन” ने प्रकाशित किया है। पेपरबैक में इस शोधपूर्ण पुस्तक की कीमत 699 रुपये है। 448 पृष्ठ के इस पुस्तक का संपादन डॉ. देवब्रत सिंह एवं डॉ. कीर्ति सिंह ने किया है. डॉ देवब्रत केंद्रीय विश्वविद्यालय, झारखंड में जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग में विश्वविद्यालय आचार्य एवं विभागाध्यक्ष हैं। देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में अध्ययन के बाद देवब्रत लगभग तीन दशकों से अध्यापन कार्य किया है और मीडिया के विभिन्न पहलुओं पर उनकी पांच पुस्तकें प्रकाशित हैं और पूरे देश में पढ़ाई जाती हैं। डॉ. कीर्ति सिंह भी एक दशक से अधिक समय से जन संचार एवं पत्रकारिता में अध्यापन और शोध का कार्य कर रही हैं।

Book Review : इस पुस्तक के माध्यम से झारखंड में पिछले सात दशकों में पत्रकारिता की स्थिति,दशा -दिशा और संभावनाओं पर गंभीरता से अध्ययन कर प्रस्तुत किया गया है। इस पुस्तक के आठ खंड हैं। कुछ प्रमुख खंड हैं प्रिन्ट मीडिया , साहित्य एवं संस्कृति, सिनेमा एवं फ़िल्म, रेडियो, टेलीविज़न, डिजिटल मीडिया, विज्ञापन एवं जनसंपर्क एवं अन्य।

अंत में परिशिष्ट में लेखक परिचय दिया गया है। पुस्तक में बहुत सारे आयाम को समेटा गया है। कुछ मुख्य विषय हैं ‘हिंदी पत्रकारिता का विकास’ ( प्रो.मिथिलेश कुमार सिंह ),’प्रभात खबर का सफरनामा'( अनुज कुमार सिन्हा ),’संथाल परगना की पत्रकारिता’ (डॉ. आर. के. नीरद),’अंग्रेज़ी पत्रकारिता का परिदृश्य'( सुमेधा चौधरी ),’हिंदी साहित्य का विस्तार'( डॉ. पंकज मित्र),’गैर सरकारी संगठनों की भूमिका'( मधुकर) ,’आकाशवाणी केंद्र,रांची का योगदान'( डॉ. निवास चंद्र ठाकुर ),’आदिवासी पत्रकारों के अनुभव'( पूजा कुमारी),’महिला पत्रकारों का योगदान और चुनौतियां'( श्रेयसी मिश्रा),’ दूरदर्शन केन्द्र, रांची का विकास में योगदान'( डॉ. नेहा पांडे) इत्यादि। पुस्तक पत्रकारिता में रुचि रखनेवाले पाठकों के लिये तो बहुत महत्वपूर्ण है ही, आम हिंदी पाठकों के लिये भी संग्रहणीय है।

(पुस्तक के समीक्षक प्रमोद कुमार झा रांची दूरदर्शन केंद्र के पूर्व निदेशक हैं और कला व साहित्य के राष्ट्रीय स्तर के मर्मज्ञ हैं।)

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