Independence Day : पटना में 7 छात्रों के बलिदान बाद किसने फहराया झंडा? 

आज देश अपना 78 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. राष्ट्रभक्ति के गीत गाए जा रहे हैं और देश के उन असंख्य सपूतों को नमन किया जा रहा है जिनकी कुर्बानी से अपना भारत अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ. ऐसे बहुत सारे देश भक्त हैं जिन्होंने देश को आजादी दिलाने के लिए अपने प्राणों की आहूति दी लेकिन बहुत सारे ऐसे गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी भी रहे जिनके योगदान को किसी भी तरह से कम करके नहीं आंका जा सकता. ऐसे ही लोगो में एक नाम है रामकृष्ण सिंह. 

स्वर्गीय रामकृष्ण सिंह की फाइल फोटो
Written By : रामनाथ राजेश | Updated on: November 5, 2024 1:41 pm

Independence Day Special : घटना देश की आजादी के पांच साल पहले 11 अगस्त 1942 की है. देश भर में भारत छोड़ो आंदोलन जारी था. बिहार की राजधानी पटना में उस भवन पर भारतीय ध्वज फहरा दिया गया जिसे आज सचिवालय भवन के रूप में जाना जाता है. इस ध्वज को फरराने के क्रम में 7 युवकों ने  अपना बलिदान दे दिया. जब  सात युवकों ने इसी क्रम में अपने प्राणों की आहूति दे दी तो आखिर अंग्रेजों के झंडे की जगह भारतीय ध्वज किसने फहराया?

नया तथ्य आया सामने 

नया तथ्य ये सामने आया है कि झंडा शाम 4.30 बजे फहराया गया था जबकि गोली 4.37 बजे चली थी. ये बात उस समय के पटना के जिलाधिकारी रहे डब्ल्यू जी आर्चर के दस्तावेज में कही गई है जो आज भी बिहार राज्य अभिलेखागार पटना में मौजूद है.

भारत माता के जिन सात सपूतों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया उनके नाम पर पटना सचिवालय के परिसर के मुख्य प्रवेश द्वार के सामने 15 अगस्त 1947 को ही शहीद स्मारक की आधारशिला रखी गई और बाद में सभी बलिदानी युवकों की कांस्य प्रतिमा लगाई गई. इस स्मारक पर आज भी उनके नाम को पढ़ा जा सकता है. वे सात युवा छात्र थे – उमाकांत प्रसाद सिन्हा(रमन जी), रामांनंद सिंह, सतीश प्रसाद झा, जगत्पति कुमार, देविपदा चौधरी, राजेंद्र सिंह और रामगोविंद सिंह. इनमें जगत्पति कुमार को छोड़कर सभी पटना के स्कूली छात्र थे. रामकृष्ण सिंह के नाम का इस स्थान पर कहीं उल्लेख नहीं है. इसका कारण ये है कि वे शहीद नहीं हुए. 

किसने झंडा फहराया तबके दस्तावेजों नहीं है उल्लेख

रामकृष्ण सिंह ने ही झंडा फहराया था इसका उन दिनों के सरकारी दस्तावेजों में उल्लेख नहीं है लेकिन इस बात का उल्लेख है कि रामकृष्ण सिंह नाम के युवक की उस दिन उस परिसर से गिरफ्तारी हुई थी. झंडा रामकृष्ण सिंह ने फहराया था इसकी पुष्टि उन दिनों बिहार विधानमंडल के सुरक्षा प्रभारी राजनंदन ठाकुर ने बाद के दिनों में एक आलेख लिखकर की. 

पटना कॉलेज के ऑनर्स के छात्र थे मोकामा निवासी रामकृष्ण

उन्होंने लिखा है कि मोकामा के रहने वाले और पटना कॉलेज के ऑनर्स के छात्र रामकृष्ण सिंह ने जब अंग्रेजों की सेवा करने को लेकर भारतीय अफसरों को अंग्रेजी में फटकार लगानी शुरू की तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया जब फुलवारीशरीफ कैंप जेल ले जाया जा रहा था तो लोगो की भीड़ ने उन्हें छुड़ा लिया. इसके बाद उनके घर की कुर्की जब्ती हुई. 19 नवंबर 1942 को उन्हें फिर गिरफ्तार कर लिया गया. नौ महीने विचाराधीन कैदी के रूप में जेल में जब रह चुके तो उन्हें चार महीने की सश्रम कैद की सजा सुनाई गई. 

जेल में लिखे कविता संग्रह का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2018 में किया लोकार्पण

Independence Day पर बात करने पर उनके पुत्र नवेंदु शर्मा ने बातचीत नें बताया कि बांकीपुर जेल में लिखी उनकी कविताओं का संग्रह 2018 मे प्रकाशित हुआ और उसका लोकार्पण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 11 अगस्त को ही किया. जिसमें उस दौर की उनकी तमाम घटनाओं का भी उल्लेख किया गया है. 

Independence Day यानी जब देश आजाद हुआ तो वर्ष 1947 के दिसंबर में उन्होंने बिहार सिविल सेवा में सब-डिप्टी कलेक्टर के रूप में ज्वाइन कर लिया. कहा जाता है कि 1942 से ही उन्होंने खादी पहनना शुरू कर दिया और जब अपनी मौत के समय 26 जनवरी 1984 तक वे खादी ही पहनते रहे. 

जीवन में सादगी ऐसी कि 1983 में योजना विभाग के संयुक्त सचिव पद से सेवानिवृत्त हुए लेकिन कभी भी स्वतंत्रता सेनानी होने या सचिवालय पर झंडा फहराने वाले के रूप में खुद को प्रचारित नहीं किया.

माली के रूप में फहराया था झंडा :  बिहार राज्य के अभिलेखागार में मौजूद दस्तावेज में घटनाक्रम के बारे में तत्कालीन जिलाधिकारी आर्चर लिखते हैं, “…शाम के करीब  4 बजकर 30 मिनट हुए थे कि अचानक देखा गया कि उत्तरी छोर में सचिवालय पर एक झंडा फहराया गया है. हम जहां खङे थे वहां से झंडा कांग्रेस का ही नजर आ रहा था.”

1942 में बिहार विधान मंडल की सुरक्षा के प्रभारी राजनंदन ठाकुर के अनुसार “सबकी नजरें विधान मंडल  भवन के उत्तरी खंड के कंगूरे पर थी. वहां खादी के एक हाफ कमीज में पिरोया सा झंडी लहरा रहा था.”

आर्चर ने आगे लिखा है, “(हमने) 4 बजकर 57 मिनट पर दायें बाजू पर गोली चलाने का आदेश दिया….कुछ ही झणों के बाद दूसरी वॉलीदागने का आदेश दिया गया …मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के अधीक्षक से सूचना मिली कि 25 गंभीर रूप से घायल हुए. उनमें 4 की मृत्यु घटनास्थल पर हुई और 3 की मृत्यु अस्पताल में हुई.”

जोश और साहस के साथ स्वीकार की झंडा फहराने की बात

बताया जाता है कि माली का वेश बनाकर तिरंगा फहराने वाले युवक को जब सचिवालय के दरबान पलटू राम ने खोज निकाला तो सुरक्षा प्रभारी राजनंदन ठाकुर और सेना के कर्नल चिमनी ने उस युवक से पूछा – “तुमने ऊपर झंडा फहराया ? ” युवक ने पूरे जोश और साहस के साथ जवाब दिया – “जी हां, मैंने ही उसे फहराया है।” उस युवक का सिर मुंडन किया हुआ था. वह एक धोती पहने और शरीर पर भी लपेटे हुए था. उसने अपना परिचय दिया – “नाम रामकृष्ण सिंह, घर मोकामा, पटना कॉलेज में आनर्स का विद्यार्थी.” 

Independence Day पर ये बताना जरूरी है कि मोकामा का उनका पैतृक निवास आज खंडहर बन चुका है और ढहने के कगार पर है. उनके पुत्र नवेन्दु शर्मा ने बताया कि उनका निधन 26 जनवरी, 1984 को झंडा फहराने के तत्काल बाद हुआ. 

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