गुकेश ने Chess Olympiad में भारत के लिए शीर्ष बोर्ड पर शानदार प्रदर्शन किया और अपनी 10 बाजियों में नौ अंक हासिल किए। उन्होंने आठ बाजी जीती जबकि दो ड्रॉ रहीं। इस प्रदर्शन की बदौलत उन्होंने व्यक्तिगत स्वर्ण पदक भी जीता।
बचपन से खेल रहे हैं शतरंज
डी गुकेश ने छोटी सी उम्र में भारत को चेस ओलंपियाड जिताकर अपना नाम घर-घर तक पहुंचा दिया है. जिस उम्र में बच्चा स्कूल से कॉलेज जाने की तैयार कर रहा होता है, उस उम्र में वे विश्व खिताब के लिए तैयारी कर रहे हैं. लेकिन उनका यह सफर आसान नहीं रहा है. इस सफर की शुरुआत तो उन्होंने पहली कक्षा से ही कर दी थी.
चेन्नई के डी गुकेश ने स्कूल में पाठ्यक्रम से इतर की गतिविधि के तौर पर शतरंज खेलना शुरू किया. बाद में यह उनका जुनून बन गया. इसी का नतीजा है कि आज 18 वर्षीय गुकेश को दुनिया के टॉप चेस खिलाड़ियों में शुमार किया जाता है.
ग्रैंडमास्टर गुकेश ने बुडापेस्ट में ओपन वर्ग में भारत को पहली बार Chess Olympiad में गोल्ड मेडल दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी.
कोच ने बचपन में ही टैलेंट पहचान लिया था
डी गुकेश के बचपन के कोच वी भास्कर ने उनकी प्रतिभा तब पहचान ली थी, जब वे सिर्फ सात साल के थे. भास्कर ने कहा, ‘हमने तब शुरुआत की जब वह (गुकेश) वेलाम्मल विद्यालय में कक्षा एक में था. वह पढ़ाई के अतिरिक्त अन्य गतिविधियों में भी भाग लेता था. जब वह सात साल का था तब मैंने उसमें एक ललक देखी और उसे व्यक्तिगत प्रशिक्षण के लिए आने को कहा. हमने कई साल तक उसके खेल को निखारने पर काम किया.’
गुकेश ने मीडिया से क्या बोल ?
गुकेश ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘इस सीरीज में हम सभी अच्छी फॉर्म में थे. पहले 3 राउंड के अंत में यह स्पष्ट हो गया. मैं उम्मीद कर रहा था कि चीन के मौजूदा विश्व चैंपियन डिंग लिरिन मेरे साथ खेलेंगे.
गुकेश ने आगे बोला, ‘भले ही वह नहीं आए, मैं उसके विकल्प के लिए भी तैयार था. कप्तान श्रीनाथ व्युगम ने मुझे पहला बोर्ड खिलाया और यही कारण है कि मैं और एरिक्सी लगातार जीत हासिल करने में सफल रहे. चेन्नई में आयोजित पिछले शतरंज ओलंपियाड में हम फाइनल राउंड में पहुंचे थे.
उन्होंने आगे कहा, ‘उस स्थिति को समझते हुए इस बार हमने अमेरिका के साथ जीत के लिए खेला. इसीलिए अमेरिका की हार हुई. पुरुष और महिला दोनों वर्गों में स्वर्ण पदक जीतना एक महान क्षण है. हम ओलंपियाड में कई बार असफल हुए हैं. चेन्नई में हुए मैच में भी हमें हार का सामना करना पड़ा है’.
गुकेश ने आगे कहा, ‘व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण जीतना एक अतिरिक्त खुशी थी. हम पुरुष और महिला दोनों श्रेणियों में लगातार बहुत सारे प्रशिक्षण और प्रयास कर रहे हैं. नतीजा यह हुआ कि हम अब स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहे. उन्होंने यह भी कहा कि Chess Olympiad में यह भारतीय टीम के संयुक्त प्रयास की जीत है’.
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