हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस (Congress) की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा, जब चुनावी नतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे। इसके बाद, कांग्रेस को एक और धक्का तब लगा, जब समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने उत्तर प्रदेश के 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में सीटों की साझेदारी पर बात करने से इनकार कर दिया। सपा ने इनमें से 6 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए, जबकि कांग्रेस 5 सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छुक थी। इस कदम ने दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन को लेकर खींचतान बढ़ा दी है। कांग्रेस (Congress) और सपा दोनों ही विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के प्रमुख सदस्य हैं, लेकिन सीटों के बंटवारे को लेकर उनकी राय अलग-अलग है।
Samajwadi Party के बेहतर प्रदर्शन का हवाला
सपा का दावा इस बात पर आधारित है कि उसने 2024 के आम चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया है। सपा ने 62 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उनमें से 37 सीटें जीतने में कामयाब रही थी, जबकि कांग्रेस ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा और सिर्फ 6 सीटें ही जीत सकी। सपा ने इस आधार पर कांग्रेस(Congress) को सिर्फ 3 सीटें देने का प्रस्ताव दिया, जिसे कांग्रेस ने स्वीकार नहीं किया। सपा ने 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस से बेहतर प्रदर्शन किया था, जिससे सपा का यह दावा और मजबूत होता है कि वह राज्य में प्रमुख विपक्षी पार्टी है।
गठबंधन पर सवाल और असहमति
कांग्रेस (Congress) और Samajwadi Party के बीच सीटों को लेकर खींचतान सिर्फ उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं है। इससे पहले हरियाणा चुनाव में भी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच सीटों का बंटवारा नहीं हो सका था। कांग्रेस नेता भूपेंद्र हुड्डा पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने गठबंधन को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए, जिसके चलते पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद, सपा ने उपचुनावों में सीटों के बंटवारे पर सहयोग नहीं करने का फैसला लिया।
यह तनाव पहले मध्य प्रदेश चुनाव में भी देखने को मिला था, जब कांग्रेस ने Samajwadi Party के साथ सीटों का साझा करने से इनकार कर दिया था। इसके बाद सपा ने वहां अपने उम्मीदवार उतार दिए थे। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उस समय कहा था, “ऐसा लगता है कि कांग्रेस हमारे साथ साझेदारी नहीं करना चाहती।” इससे गठबंधन में और दरारें दिखने लगीं, जिससे विपक्षी एकता पर सवाल उठने लगे।
आने वाले उपचुनावों की Congress के लिए बड़ी चुनौती
उत्तर प्रदेश के इन उपचुनावों को कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है। BJP ने पहले ही अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं, भले ही इन उपचुनावों के नतीजे से उनकी सरकार पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। लेकिन BJP इन सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत करके हरियाणा चुनाव की जीत की लय को आगे बढ़ाना चाहती है। दूसरी ओर, कांग्रेस को उपचुनावों में अच्छा प्रदर्शन करके यह साबित करना होगा कि वह ‘इंडिया’ गठबंधन में एक मजबूत और सक्षम साथी है।
आगे आने वाले चुनावों में महाराष्ट्र और झारखंड की विधानसभा सीटों के लिए भी चुनाव होने हैं, जो कांग्रेस के लिए अहम होंगे। इसके अलावा, दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी (AAP) चौथी बार जीतने की कोशिश करेगी, जो कांग्रेस के लिए एक और चुनौती हो सकती है। ममता बनर्जी और अन्य सहयोगी दलों के साथ भी सीटों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस के रिश्ते तनावपूर्ण बने हुए हैं। अगर कांग्रेस को इन चुनौतियों से पार पाना है, तो उसे जल्द ही गठबंधन में अपनी भूमिका और सहयोगियों के साथ रिश्तों पर विचार करना होगा।
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