झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के संदर्भ में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हाल ही में एक असामान्य स्थिति का सामना करना पड़ा है, जिसने उनकी उम्मीदवारी को खतरे में डाल दिया है। रिपोर्टों के अनुसार, सोरेन के प्रस्तावक मंडल मुर्मू के भाजपा से संपर्क में होने की अफवाहों ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) में हलचल मचा दी है। यह संदेह उठने लगा था कि मुर्मू भाजपा में शामिल हो सकते हैं, जिससे सोरेन की उम्मीदवारी को गंभीर खतरा पैदा हो सकता था।
पुलिस की कार्रवाई और राजनीतिक टकराव
27 अक्टूबर को, मुर्मू की गाड़ी का पीछा करने की घटना सामने आई, जिसके चलते उन्हें कुछ समय के लिए ‘निरोधित’ किया गया। मुर्मू को दो अन्य भारतीय जनता युवा मोर्चा के नेताओं के साथ डुमरी पुलिस थाने ले जाया गया। इस घटना की जानकारी भारत निर्वाचन आयोग के प्रमुख राजीव कुमार को मिली, जिन्होंने झारखंड के मुख्य सचिव और डीजीपी को फटकार लगाई। कुमार ने जोर दिया कि आचार संहिता का उल्लंघन हुआ है, जो चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करता है।
महत्वपूर्ण जनजातीय संबंध और चुनावी रणनीति
मंडल मुर्मू को भाजपा और JMM के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि वह एक जनजाति से आते हैं, जिसे 1855 के संथाल विद्रोह के नायक सिधु-कान्हू का वंशज माना जाता है। JMM को चिंता है कि भाजपा ने बारहैत सीट के लिए अभी तक कोई उम्मीदवार घोषित नहीं किया था। इसके बाद, भाजपा ने सोरेन के खिलाफ गामिल्यल हेम्ब्रम को उम्मीदवार घोषित किया।
JMM के प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने दावा किया कि मंडल मुर्मू को कुछ अज्ञात व्यक्तियों द्वारा ले जाया गया था। हालांकि, मुर्मू ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि उनके प्रस्तावक होने का मतलब यह नहीं है कि वे अन्य लोगों से नहीं मिल सकते। भाजपा के गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने इस संदर्भ में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा किया, जिसमें उन्होंने कहा कि “हेमंत सोरेन ने मंडल मुर्मू को गिरफ्तार किया।”
राजनीतिक विवाद और संभावित प्रभाव
इस घटनाक्रम के चलते भाजपा और JMM के बीच राजनीतिक टकराव बढ़ गया है, जिसमें दोनों पक्ष एक-दूसरे पर गलत कार्यों के आरोप लगा रहे हैं। झारखंड के राजनीतिक माहौल में आए इस तूफान ने आगामी विधानसभा चुनावों में सभी दलों की रणनीतियों को एक बार फिर से चुनौती दी है। इस संकट का समाधान और भविष्य की दिशा, झारखंड की राजनीतिक स्थिति को प्रभावित कर सकती है।
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