लोक आस्था का महापर्व छठ…अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को दिया गया अर्घ्य

लोक आस्था के महापर्व छठ के तीसरे पूरे बिहार और पूर्वांचल समेत दिल्ली में लाखों श्रद्धालुओं ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया.  श्रद्धालुओं ने जल में दूध डालकर सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ्य दिया.

Written By : संतोष कुमार | Updated on: November 7, 2024 9:06 pm

लोक आस्था के महापर्व छठ  (chhath)के तीसरे पूरे बिहार और पूर्वांचल समेत दिल्ली में लाखों श्रद्धालुओं ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया.  श्रद्धालुओं ने जल में दूध डालकर सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ्य दिया. बिहार की राजधानी पटना में सीएम नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय और सभी मंत्रियों,राजनीतिक दल के नेताओं ने भी भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया.पटना में सीएम नीतीश कुमार ने एक अणे मार्ग पर भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया. हर गली-सड़कों पर बिहार कोकिला स्व. शारदा सिन्हा के छठ गीत बज रहे हैं.

राजधानी दिल्ली में यमुना घाट समेत सभी सोसायटियों में अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया गया. छठ (Chhath) महापर्व पर दिल्ली में सरकार ने छु्ट्टी की घोषणा की है. दिल्ली में बिहार और पूर्वाचल के लाखों श्रद्धालुओं ने महापर्व छठ पर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया. बिहार, यूपी, बंगाल, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्यप्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना में रहने वाले लाखों अप्रवासी बिहारी और पूर्वांचल के लोगों ने महापर्व छठ के तीसरे दिन अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्ध्य दिया.


महापर्व छठ (Chhath) को लेकर बिहार, यूपी, दिल्ली में सरकार ने श्रद्धालुओं के लिए बेहतर इंतजाम किए हैं. सड़को की साफ सफाई से लेकर नदी और घाटों पर सुरक्षा के इंतजाम राज्य सरकारों ने किए हैं. शुक्रवार को सुबह उदियमान भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिन के इस महानुष्ठान का समापन हो जाएगा.

छठी मैय्या के जयकारे से गूंजते रहे घाट

पटना समेत पूरे बिहार में छठ घाट पर श्रद्धालुओं का तांता लग गया. छठी मैय्या के जयकारे से छठ घाट गूंजते रहे.छठ पर्व की शुरुआत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन नहाय खाय से होती है। पंचमी को खरना, षष्ठी को डूबते सूर्य को अर्घ्य और उगते सूर्य सप्तमी को अर्घ्य देकर व्रत समाप्त होता है। इस चार दिवसीय त्योहार में सूर्य और छठी मैया की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत करना बहुत कठिन माना जाता है क्योंकि इस व्रत को कठोर नियमों के अनुसार 36 घंटे तक रखा जाता है.

भगवान भास्कर को अर्घ्य देने का फल
सूर्य की पूजा मुख्य रूप से तीन समय विशेष लाभकारी होती है – प्रातः , मध्यान्ह और सायंकाल. प्रातःकाल सूर्य की आराधना स्वास्थ्य को बेहतर करती है. मध्यान्ह की आराधना नाम-यश देती है. सायंकाल की आराधना सम्पन्नता देती है। अस्ताचलगामी सूर्य अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं, जिनको अर्घ्य देना तुरंत प्रभावशाली होता है, जो लोग अस्ताचलगामी सूर्य की उपासना करते हैं, उन्हें प्रातःकाल की उपासना भी जरूर करनी चाहिए.

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