उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू वार्ड में शुक्रवार रात लगी आग में 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई (newborn babies died), जबकि 17 अन्य शिशु गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं। ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में शॉर्ट सर्किट से लगी आग ने न केवल अस्पताल की व्यवस्था की पोल खोली, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही की पराकाष्ठा भी सामने लाई।
आग की भयावहता और प्रशासन की चूक
हादसा रात करीब 10:30 बजे हुआ, जब ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में शॉर्ट सर्किट से आग भड़क उठी। आग इतनी तेजी से फैली कि शिशु वार्ड में मौजूद डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को संभलने का भी मौका नहीं मिला। हालांकि, स्टाफ ने जान जोखिम में डालकर 40 बच्चों को बचाया, लेकिन 10 मासूमों को नहीं बचाया जा सका (newborn babies died)। फायर अलार्म और वॉटर स्प्रिंकलर काम नहीं कर रहे थे, और फायर एक्सटिंग्विशर भी एक्सपायर हो चुके थे, जिससे बचाव कार्य में देरी हुई।
परिजनों का दर्द और प्रशासनिक लापरवाही
घटना के बाद से अस्पताल में मातम का माहौल है। कई परिवार अपने बच्चों के बारे में जानकारी के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। संतोषी नामक महिला ने बताया कि उसका 10 दिन का नवजात गायब है और 10 घंटे बीतने के बाद भी कोई अधिकारी उसे जानकारी देने में सक्षम नहीं है। वहीं, कुलदीप नामक व्यक्ति ने कहा कि उसने दूसरों के बच्चों को बचाया, लेकिन उसके अपने बच्चे का कोई पता नहीं है।
डिप्टी सीएम के दौरे पर सवाल
घटना के बाद डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने अस्पताल का दौरा किया। लेकिन इस दौरे ने प्रशासन की संवेदनहीनता को उजागर कर दिया। परिजनों का आरोप है कि हादसे के बाद जहां बच्चों की जान बचाने की कोशिशें होनी चाहिए थीं, वहीं डिप्टी सीएम के दौरे के लिए अस्पताल में रंगाई-पुताई कराई गई और परिसर को साफ-सुथरा दिखाने का प्रयास किया गया।
राजनीतिक हमले और जांच के आदेश
कांग्रेस ने सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि एक तरफ बच्चे जलकर मर रहे थे, तो दूसरी तरफ सरकार “चेहरा चमकाने” में व्यस्त थी। कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा, “यह संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है।” मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर दुख व्यक्त करते हुए जांच के आदेश दिए हैं। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने जिलाधिकारी को दोषियों की पहचान कर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
व्यवस्था पर गंभीर सवाल
इस हादसे ने प्रदेश के स्वास्थ्य ढांचे और आपातकालीन प्रबंधन की खामियों को उजागर किया है। फायर सेफ्टी उपकरणों की खराब स्थिति और प्रशासनिक लापरवाही ने मासूमों की जान ले ली। झांसी का यह हादसा व्यवस्था सुधार की जरूरत पर जोर देता है और प्रशासन की जवाबदेही तय करने की मांग करता है।
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