महाराष्ट्र चुनाव विवाद: कांग्रेस के हंगामे पर चुनाव आयोग ने प्रतिनिधिमंडल को दिया समय

महाराष्ट्र चुनाव में वोटिंग प्रतिशत में गड़बड़ी के आरोपों पर कांग्रेस और चुनाव आयोग आमने-सामने। कांग्रेस ने चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाए, तो आयोग ने सफाई देते हुए पारदर्शिता का दावा किया। 3 दिसंबर को कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक तय।

Written By : MD TANZEEM EQBAL | Updated on: November 30, 2024 9:10 pm

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में वोटिंग प्रतिशत को लेकर उठे सवालों पर चर्चा के लिए चुनाव आयोग (ECI) ने कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल को 3 दिसंबर को बैठक के लिए आमंत्रित किया है। कांग्रेस ने चुनाव प्रक्रिया, विशेष रूप से ईवीएम (EVM) और वोटिंग डेटा को लेकर अपनी आशंकाएं व्यक्त की हैं। चुनाव आयोग ने कहा है कि मतदान प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाती है, जिसमें उम्मीदवारों और उनके एजेंटों की पूरी भागीदारी होती है। इसके साथ ही, आयोग ने कांग्रेस को आश्वस्त किया है कि उनकी सभी वैध चिंताओं की समीक्षा की जाएगी और लिखित जवाब दिया जाएगा।

चुनाव आयोग का स्पष्टीकरण

चुनाव आयोग ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि मतदान के अंतिम आंकड़े और शाम 5 बजे तक के आंकड़ों में अंतर “प्रक्रियागत प्राथमिकताओं” के कारण होता है। मतदान समाप्ति के बाद मतदान अधिकारी कई कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा करते हैं, जिसके बाद ही वोटिंग डेटा को अपडेट किया जाता है। आयोग ने यह भी कहा कि 2024 के आम चुनावों से ही “वोटिंग प्रतिशत” पर एक अतिरिक्त जानकारी देने का प्रावधान किया गया था, जिसे अब विधानसभा चुनावों में भी लागू किया जा रहा है।

कांग्रेस का आरोप

कांग्रेस ने मतदान प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह “गंभीर रूप से प्रभावित” हो रही है। कांग्रेस वर्किंग कमिटी (CWC) की बैठक में यह मुद्दा उठाया गया, जिसमें “चुनावी धांधली” और “मतदाता आंकड़ों में हेरफेर” के आरोप लगाए गए। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि हरियाणा और महाराष्ट्र चुनावों में भी “चुनावी अनियमितताओं” का असर नतीजों पर पड़ा है। महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने आयोग से मांग की कि वे वोटिंग प्रतिशत में हुए 7.83% की बढ़ोतरी का सबूत पेश करें, जिसमें वीडियो फुटेज भी शामिल हो।

महाराष्ट्र चुनाव नतीजे

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 20 नवंबर को हुए और परिणाम 23 नवंबर को घोषित किए गए। इसमें भाजपा ने 132 सीटें जीतीं, जबकि शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पवार गुट) ने क्रमशः 57 और 41 सीटें हासिल कीं। दूसरी ओर, महा विकास अघाड़ी गठबंधन (कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना उद्धव गुट) केवल 46 सीटें ही जीत सका। कांग्रेस ने इन नतीजों को “चौंकाने वाला” बताया और आरोप लगाया कि यह “सुनियोजित हेरफेर” का नतीजा हो सकता है। पार्टी ने इसे लेकर “राष्ट्रीय आंदोलन” शुरू करने का भी ऐलान किया है।

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