यह रैली विश्व विकलांग दिवस की पूर्व संध्या पर, रविवार को, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एडुकेशन ऐंड रिसर्च, बेउर के तत्त्वावधान में, संजय गांधी जैविक उद्यान से आरंभ हुई और शहीद-स्मारक होते हुए, जगजीवन राम शोध संस्थान में आकर समाप्त हुई, जहां अनेक संस्थाओं की ओर से दिव्यांग-महोत्सव का आयोजन किया गया। विश्व विकालांग दिवस के पहले निकली इस रैली को संस्थान के निदेशक प्रमुख डा अनिल सुलभ, बिहार नेत्रहीन परिषद के महासचिव डा नवल किशोर शर्मा तथा अधिवक्ता अहसास मणिकान्त ने रैली को हरी झंडी दिखाकर विदा किया।
विकलांगता निवारण और पुनर्वास विभाग बने
इस अवसर पर अपना विचार व्यक्त करते हुए, डा सुलभ ने कहा कि अभी भी बिहार में विकलांग जनों को वैज्ञानिक ढंग से चिन्हित करने का कार्य नहीं हो पा रहा है। जब तक यह नहीं होगा तबतक विकलांगों के पुनर्वास में कोई भी कार्य सही दिशा में नहीं होगा। इसके लिए आवश्यक है कि राज्य सरकार अलग से ‘विकलांगता निवारण और पुनर्वास विभाग’ सृजित करे। जब इसके लिए अलग से मंत्री, प्रधान सचिव एवं अन्य अधिकारी होंगे, तो अवश्य ही इस दिशा में तेज़ी से और गुणात्मक विकास देखा जा सकेगा और तभी सभी दिव्यांग पुनर्वासित किए जा सकेंगे, जिनमे भौतिक-पुनर्वास के साथ आर्थिक पुनर्वास भी सम्मिलित होंगे।
विकलांग आयोग का गठन की मांग
बिहार नेत्रहीन परिषद के संस्थापक महासचिव डा नवल किशोर शर्मा ने कहा कि राज्य में विकलांग आयोग का गठन भी शीघ्र किया जाना चाहिए। विश्व विकालांग दिवस से पूर्व निकली इस रैली में बिहार विकालांग मंच के सचिव दिव्यांग युवक राकेश कुमार, दिव्यांग-प्राध्यापक प्रो कपिल मुनि दूबे, सूबेदार संजय कुमार, प्रो संजीत कुमार, डा रूपाली भोवाल, प्रो मधुमाला कुमारी, प्रो चंद्रा आभा, डा नवनीत कुमार, डा आदित्य कुमार ओझा, प्रो देवराज कुमार, प्रो प्रिया कुमारी, कुमार करुणा निधि, रवींद्र प्रजापति , नीरज कुमार, रेखा देवी समेत बड़ी संख्या में दिव्यांगजन और संस्थान के छात्र-छात्राओं तथा शिक्षकों ने भाग लिया।
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