हेमंत सरकार का नया सियासी फॉर्मूला: आधे मंत्री रिप्लेस, फारवर्ड गायब!

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी नई कैबिनेट का ऐलान करते हुए 50% मंत्रियों को बदला है। खास बात यह है कि राज्य के इतिहास में पहली बार फारवर्ड कोटे से किसी भी मंत्री को शामिल नहीं किया गया है। कैबिनेट में 6 नए चेहरों को जगह दी गई है, जबकि 5 पुराने मंत्रियों को दोबारा शामिल किया गया है। जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए झामुमो, कांग्रेस और राजद ने अलग-अलग क्षेत्रों और समाज के प्रतिनिधित्व को प्राथमिकता दी है।

हेमंत सोरेन सरकार की कैबिनेट
Written By : MD TANZEEM EQBAL | Updated on: December 6, 2024 2:59 pm

हेमंत सोरेन सरकार ने नई कैबिनेट का गठन कर झारखंड की सियासत में बड़ा बदलाव कर दिया है। गुरुवार को राजभवन के अशोक उद्यान में आयोजित समारोह में 11 मंत्रियों ने शपथ ली। इनमें से 5 मंत्री पुराने चेहरों के तौर पर लौटे हैं, जबकि 6 नए चेहरों को मौका दिया गया है। खास बात ये है कि झारखंड के इतिहास में पहली बार फारवर्ड कोटे से कोई मंत्री नहीं बना।

फारवर्ड कोटा: खत्म होती सियासी जमीन?

झारखंड में अब तक हर कैबिनेट में एक-दो मंत्री फारवर्ड कोटे से जरूर होते थे। पिछली सरकार में गढ़वा से ब्राह्मण चेहरे के तौर पर मिथिलेश ठाकुर मंत्री बने थे, लेकिन इस बार उनकी हार ने फारवर्ड कोटे को खत्म कर दिया। सूत्र बताते हैं कि चुन्ना सिंह और अनंत देव प्रताप के नामों पर चर्चा जरूर हुई, लेकिन INDIA ब्लॉक ने उन्हें मौका नहीं दिया। जानकार मानते हैं कि भाजपा के परंपरागत वोट बैंक होने के कारण फारवर्ड समाज को नजरअंदाज किया गया।

JMM-कांग्रेस ने अपने 50% मंत्री बदले

झामुमो ने तीन पुराने मंत्रियों- दीपक बिरुवा, रामदास सोरेन और हफीजुल हसन अंसारी को दोबारा मंत्री बनाया है। वहीं, गिरिडीह से सुदिव्य कुमार सोनू, गोमिया से योगेंद्र प्रसाद और बिशुनपुर से चमरा लिंडा को पहली बार कैबिनेट में शामिल किया गया है।

कांग्रेस ने भी नए और पुराने का संतुलन बनाए रखा। जामताड़ा से इरफान अंसारी और महागामा से दीपिका पांडे सिंह को दोबारा मौका दिया गया। वहीं, छतरपुर से राधाकृष्ण किशोर और मांडर से शिल्पी नेहा तिर्की पहली बार मंत्री बनीं।

राजद का यादव वोटबैंक दांव

राजद ने अपने यादव वोटबैंक को साधने के लिए गोड्डा से संजय यादव को मंत्री बनाया। वे इस कैबिनेट के सबसे अमीर मंत्री हैं, जिनकी कुल संपत्ति 28 करोड़ है। वहीं, JMM के हफीजुल हसन अंसारी सबसे कम संपत्ति (1 करोड़) वाले मंत्री हैं।

संथाल परगना का दबदबा, पलामू को सिर्फ एक पद

नई सरकार में संथाल परगना से सबसे ज्यादा 4 मंत्री बनाए गए हैं। कोल्हान और उत्तरी-दक्षिणी छोटानागपुर से 2-2 मंत्रियों को शामिल किया गया। वहीं, पलामू को सिर्फ एक मंत्री पद मिला है।

समारोह में सबसे पहले प्रो. स्टीफन मरांडी ने प्रोटेम स्पीकर के रूप में शपथ ली। इसके बाद मंत्रियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई गई। झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के बड़े नेताओं की मौजूदगी में यह शपथ ग्रहण कार्यक्रम एक राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन की तरह नजर आया।

हेमंत सोरेन की नई कैबिनेट में जातीय समीकरण साधने की भरपूर कोशिश की गई है। हालांकि, फारवर्ड समाज की उपेक्षा और पलामू जैसे क्षेत्रों को कम तवज्जो देने से सरकार को सियासी नुकसान उठाना पड़ सकता है। अब देखना होगा कि ये बदलाव जनता के बीच कितना असर डालते हैं।

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