मनमोहन सिंह: भारत के आर्थिक सुधारक प्रधानमंत्री का जीवन और विरासत

डॉ. मनमोहन सिंह, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और प्रसिद्ध अर्थशास्त्री, का 26 दिसंबर 2024 को दिल्ली में निधन हो गया। उनका जीवन और कार्य भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में उनके अमिट योगदान को दर्शाता है।

मनमोहन सिंह: भारत के आर्थिक सुधारक प्रधानमंत्री
Written By : MD TANZEEM EQBAL | Updated on: December 27, 2024 2:07 pm

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर 2024 को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में निधन हो गया। वह 92 वर्ष के थे और भारतीय राजनीति के एक अभूतपूर्व और सम्मानित नेता थे। अपने शांत और सशक्त नेतृत्व से डॉ. सिंह ने भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में कई ऐतिहासिक बदलावों की नींव रखी, जो न केवल भारत के लिए बल्कि वैश्विक स्तर पर भी महत्वपूर्ण थे। डॉ. सिंह भारतीय राजनीति के सबसे प्रभावशाली और सम्मानित प्रधानमंत्री रहे, जिनकी भूमिका भारतीय अर्थव्यवस्था के उत्थान और वैश्विक मंच पर भारत की पहचान बनाने में अहम रही।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गाह नामक गांव में हुआ था। उनका परिवार विभाजन के समय भारत में आकर बस गया था। उनके जीवन के शुरुआती साल कठिन थे, क्योंकि उनकी मां की मृत्यु जब वे छोटे थे, तब उनका पालन-पोषण उनकी दादी ने किया।

उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पंजाब विश्वविद्यालय से प्राप्त की, और फिर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक और मास्टर डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की डिग्री (D.Phil) प्राप्त की। डॉ. सिंह की शिक्षा ने उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था के गहरे ज्ञान से संपन्न किया और उन्हें सार्वजनिक जीवन में एक प्रख्यात अर्थशास्त्री के रूप में स्थापित किया।

शासन के प्रति समर्पण और सरकारी सेवा

डॉ. मनमोहन सिंह ने भारतीय सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। 1971 में, उन्होंने भारत सरकार में आर्थिक सलाहकार के रूप में काम करना शुरू किया और 1976 में उन्हें वित्त मंत्रालय में सचिव के पद पर नियुक्त किया। 1980-1982 तक वे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर रहे और 1985 से 1987 तक योजना आयोग के अध्यक्ष रहे।

1991 में, भारत के प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने डॉ. सिंह को वित्त मंत्री नियुक्त किया, और इसी समय उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था में ऐतिहासिक सुधारों की शुरुआत की। डॉ. सिंह के नेतृत्व में भारत ने पर्मिट राज को समाप्त किया, व्यापार में ढील दी और विदेशों से आयात पर लगाए गए प्रतिबंधों को कम किया। इन सुधारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक बाजार से जोड़ा और भारत को एक शक्तिशाली और स्वतंत्र आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित किया।

प्रधानमंत्री के रूप में डॉ. मनमोहन सिंह का कार्यकाल

2004 में प्रधानमंत्री बनने के बाद, डॉ. सिंह ने भारत की अर्थव्यवस्था को और मजबूती दी। उन्होंने आर्थिक विकास के नए रास्ते खोले, और 2004 से 2009 तक भारत की विकास दर 8-9% तक पहुंची। इसके साथ ही, उनकी सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) जैसी योजनाओं की शुरुआत की, जो देश के लाखों गरीब और ग्रामीण परिवारों के लिए सहारा बनी।

2005 में, उनकी सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NHRM) शुरू किया, जिसके तहत आधे मिलियन से अधिक समुदाय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की गई। इस पहल ने देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए।

2007 में, भारत ने अपनी सबसे तेज़ GDP वृद्धि दर 9% प्राप्त की, और इसे दुनिया की दूसरी सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में पहचाना गया। डॉ. सिंह के नेतृत्व में भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया।

2008 में, डॉ. सिंह की सरकार ने भारत-विशेष परमाणु सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके बाद भारत को परमाणु ऊर्जा के लिए एक नई दिशा मिली। यह एक ऐतिहासिक कदम था, क्योंकि इससे भारत को परमाणु व्यापार में भाग लेने का अधिकार मिला, जबकि वह परमाणु अप्रसार संधि (NPT) का हिस्सा नहीं था।

विवाद और आलोचनाएँ

डॉ. सिंह का कार्यकाल कई विवादों से घिरा रहा, जिनमें सबसे प्रमुख 2G स्पेक्ट्रम घोटाला, कोल घोटाला और राष्ट्रमंडल खेल घोटाला शामिल हैं। हालांकि, इन मामलों में  ठोस परिणाम सामने नहीं आया।

मनमोहन सिंह की वैश्विक विरासत

डॉ. सिंह का कार्य केवल भारत तक ही सीमित नहीं था। उन्होंने भारतीय विदेश नीति और कूटनीति को भी नई दिशा दी। 2005 में, उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत और अमेरिका के बीच एक महत्वपूर्ण नागरिक परमाणु समझौता हुआ, जो दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने वाला था।

उनकी नेतृत्व क्षमता ने भारत को वैश्विक मंच पर एक सम्मानजनक स्थान दिलाया। उन्होंने हमेशा शांति, संवाद और सहिष्णुता को बढ़ावा दिया, और उनका कार्यकाल आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता के साथ-साथ भारतीय लोकतंत्र की ताकत को भी दर्शाता है।

मनमोहन सिंह की विरासत भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के इतिहास में एक स्थायी स्थान रखेगी। उनके द्वारा किए गए आर्थिक सुधारों, उनके कूटनीतिक दृष्टिकोण और उनके नेतृत्व ने भारत को दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना दिया। उनके योगदान को न केवल उनके समर्थक, बल्कि उनके आलोचक भी स्वीकार करते हैं।

मनमोहन सिंह का जीवन एक प्रेरणा है, जिसने यह दिखाया कि ईमानदारी, परिश्रम और दूरदर्शिता से किसी भी राष्ट्र को ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सकता है। उनका निधन एक युग के समापन जैसा है, लेकिन उनकी विरासत और उनके द्वारा किए गए कार्य हमेशा जीवित रहेंगे।

मनमोहन सिंह का निधन भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिए एक अपूरणीय क्षति है। वे एक ऐसे नेता थे जिन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को संकट के समय से बाहर निकाला और उसे वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दिलाई। उनका जीवन, उनके कार्य और उनका योगदान भारतीय इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा।

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