मंगल दोष के प्रभाव
1.विवाह में देरी: मंगली दोष के प्रभाव से विवाह में देरी हो सकती है। खासकर जब किसी लड़की या लड़के की कुंडली में मंगल दोष होता है तो इससे उनका विवाह देर से हो सकता है।
2.विवाह के बाद समस्याएं: मंगल दोष विवाह के बाद जीवनसाथी के साथ विवाद या रिश्ते में तनाव उत्पन्न कर सकता है।
3.स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं: यह दोष शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
4.समाज में आलोचना: मंगली दोष को समाज में अवांछनीय माना जाता है, जिसके कारण व्यक्ति को सामाजिक दबाव या आलोचना का सामना करना पड़ सकता है।
5.आर्थिक समस्याएं: कभी-कभी यह दोष व्यक्ति की वित्तीय स्थिति पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
मंगल दोष से उत्पन्न होने वाली वैवाहिक समस्याएं
1.विवाह में देरी:
1.मंगली दोष के कारण विवाह में अत्यधिक देरी हो सकती है। यह दोष विवाह के लिए उपयुक्त साथी की खोज में अड़चन पैदा कर सकता है।
2.जब किसी लड़की या लड़के की कुंडली में मंगल दोष होता है, तो विवाह के लिए उचित समय में विवाह नहीं हो पाता।
2.वैवाहिक जीवन में संघर्ष:
1.मंगली दोष वाले व्यक्तियों के विवाह के बाद संबंधों में तनाव आ सकता है। यह किसी भी प्रकार के मानसिक या शारीरिक विवादों के रूप में सामने आ सकता है।
2.दंपत्ति के बीच आपसी समझ का अभाव, विवाद, और असहमति आम हो सकती है।
3.संतान के विषय में समस्याएं:
1.मंगली दोष के कारण संतान सुख में भी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। कभी-कभी यह दोष संतान प्राप्ति में कठिनाई पैदा कर सकता है या गर्भधारण में समस्या उत्पन्न कर सकता है।
4.जीवनसाथी के स्वास्थ्य में समस्या:
1.मंगल ग्रह का प्रभाव जीवनसाथी के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, जिससे वैवाहिक जीवन में तनाव उत्पन्न हो सकता है।
2.कभी-कभी यह दोष जीवनसाथी की शारीरिक या मानसिक स्थिति में उतार-चढ़ाव पैदा कर सकता है।
5.रिश्तों में अविश्वास:
1.मंगली दोष वैवाहिक रिश्ते में अविश्वास और संदेह उत्पन्न कर सकता है। यह विश्वास की कमी और झगड़े का कारण बन सकता है, जिससे दंपत्ति के बीच आपसी संबंध बिगड़ सकते हैं।
6.विवाह के बाद ताल-मेल में कमी:
1.मंगली दोष के प्रभाव से दंपत्ति के बीच समझ और ताल-मेल में कमी हो सकती है। इस कारण वैवाहिक जीवन में सामंजस्य स्थापित करना कठिन हो सकता है।
7.अविवाहित जीवन में असंतोष:
1.यदि मंगल दोष की स्थिति अविवाहित जीवन में है, तो विवाह के बाद की उम्मीदों और वास्तविकता में अंतर हो सकता है, जो मानसिक असंतोष और अवसाद का कारण बन सकता है।
मांगलिक दोष निरस्त होने की स्थितियां
1.मंगल का शुक्र, राहु, या केतु के साथ युति:
1.जब मंगल ग्रह शुक्र, राहु, या केतु के साथ युति बनाता है, तो यह युति मांगलिक दोष को कमजोर कर सकती है, क्योंकि इन ग्रहों की ऊर्जा मंगल की ऊर्जा को संतुलित करती है। इस स्थिति में मांगलिक दोष कम हो सकता है।
2.मंगल का किसी लाभकारी ग्रह के साथ स्थिति:
1.यदि मंगल ग्रह किसी बेनिफिक (लाभकारी) ग्रह के साथ जुड़ा हुआ हो, जैसे कि वृहस्पति (बृहस्पति) या शुक्र, तो मांगलिक दोष का प्रभाव कम हो सकता है।
3.मंगल की स्थिती उच्च या नीच राशियों में:
1.यदि मंगल उच्च राशि (जैसे, मकर या मेष) में स्थित हो तो यह मांगलिक दोष को शक्तिशाली बना सकता है। वहीं, यदि मंगल नीच राशि में स्थित हो (जैसे, कर्क राशि में) तो इसका प्रभाव कुछ कम हो सकता है।
4.मंगल का तीसरे या छठे घर में होना:
1.यदि मंगल तीसरे या छठे घर में स्थित हो, तो यह आमतौर पर मांगलिक दोष उत्पन्न नहीं करता है। ये घर मानसिक या शारीरिक संघर्ष के होते हैं, जो मांगलिक दोष से संबंधित नहीं होते।
5.कुंडली में मंगल की शुभ स्थिति:
1.यदि कुंडली में मंगल अन्य ग्रहों से अच्छे दृष्टि संबंधों में हो (जैसे, शुभ दृष्टि हो), तो यह दोष निरस्त हो सकता है।
6.मांगलिक दोष का निराकरण विवाह द्वारा:
1.यदि एक व्यक्ति का मंगल दोष है और उसकी शादी किसी अन्य व्यक्ति से होती है, जो भी मांगलिक दोष से ग्रस्त है, तो यह दोनों की कुंडली मिलाकर दोष को संतुलित कर सकता है। इसे मांगलिक विवाह कहा जाता है, जो इस दोष को समाप्त करने का एक उपाय माना जाता है।
7.दूसरे ग्रहों के प्रभाव:
1.कभी-कभी यदि कुंडली में अन्य ग्रहों की स्थिति (जैसे, बृहस्पति या शनि का शुभ प्रभाव) हो तो वह मंगल के दोष को कम कर सकता है। यही कारण है कि कुंडली का पूरा विश्लेषण करने के बाद ही मांगलिक दोष के बारे में सही निर्णय लिया जा सकता है।
8.संतान होने के बाद मांगलिक दोष का प्रभाव कम होना:
1.कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि अगर किसी महिला का मंगल दोष है और उसके बाद उसे संतान की प्राप्ति हो जाती है, तो इसका प्रभाव कम हो सकता है।
(शेष बुधवार को…)

(नीतेश तिवारी, एमसीए, एमएचए हैं और ज्योतिष शास्त्र के अच्छे जानकार हैं.)
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