UAE में भारतीय ‘शाहजादी’ को दी गई फांसी, ये था आरोप

संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में उत्तर प्रदेश की शाहजादी खान को चार महीने के शिशु की हत्या के आरोप में फांसी दे दी गई। परिवार ने निष्पक्ष जांच की मांग की।

Written By : MD TANZEEM EQBAL | Updated on: March 3, 2025 10:38 pm

नई दिल्ली/अबू धाबी: संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में चार माह के शिशु की हत्या के आरोप में दोषी ठहराई गई उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की शाहजादी खान को 15 फरवरी 2025 को फांसी दे दी गई। भारत के विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में दिल्ली हाई कोर्ट को सूचित किया।

मामले का संक्षिप्त विवरण

33 वर्षीय शाहजादी खान को अबू धाबी के अल वथबा जेल में रखा गया था। उनके खिलाफ आरोप था कि उन्होंने अपने नियोक्ता के चार महीने के शिशु की हत्या कर दी।

  • दिसंबर 2021: शाहजादी खान कानूनी वीजा के माध्यम से अबू धाबी गई।
  • अगस्त 2022: उनके नियोक्ता ने पुत्र को जन्म दिया, जिसकी देखभाल के लिए शाहजादी को नियुक्त किया गया।
  • 7 दिसंबर 2022: शिशु की मृत्यु टीकाकरण के बाद हो गई।
  • दिसंबर 2023: एक वीडियो सामने आया, जिसमें शाहजादी ने अपराध स्वीकार किया, हालांकि परिवार ने आरोप लगाया कि यह बयान प्रताड़ना के माध्यम से लिया गया था।

न्यायिक प्रक्रिया और फांसी का निष्पादन

  • पोस्टमॉर्टम नहीं किया गया: परिवार का दावा है कि शिशु के माता-पिता ने मृत्यु के कारण की जांच कराने से इनकार कर दिया और आगे की कानूनी प्रक्रिया को रोकने का समझौता पत्र साइन किया।
  • सितंबर 2023: शाहजादी की अपील खारिज कर दी गई।
  • 28 फरवरी 2024: यूएई की अदालत ने मृत्युदंड की पुष्टि की।
  • 14 फरवरी 2025: शाहजादी ने अपने पिता शब्बीर खान से फोन पर अंतिम वार्तालाप किया, जिसमें उन्होंने अपनी आसन्न फांसी की जानकारी दी।
  • 15 फरवरी 2025: शाहजादी खान को फांसी दे दी गई।

भारत सरकार की प्रतिक्रिया

  • 28 फरवरी 2025: भारतीय दूतावास को यूएई सरकार से फांसी की आधिकारिक सूचना प्राप्त हुई।
  • 5 मार्च 2025: उनके अंतिम संस्कार की प्रक्रिया निर्धारित की गई।
  • दिल्ली हाई कोर्ट ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण और संवेदनशील मामला” करार देते हुए याचिका को निस्तारित कर दिया।

परिवार के आरोप और कूटनीतिक प्रश्न

शाहजादी के पिता शब्बीर खान ने आरोप लगाया कि उनकी बेटी को गलत तरीके से फंसाया गया, पर्याप्त कानूनी सहायता नहीं दी गई, और जबरन अपराध स्वीकार कराया गया।

यह मामला प्रवासी भारतीयों की कानूनी सुरक्षा, भारत-यूएई द्विपक्षीय संबंधों और विदेशों में भारतीय नागरिकों के अधिकारों को लेकर एक महत्वपूर्ण विषय बन गया है।

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