International happiness day : एक अन्य बुजुर्ग से युवा पूछता है- आप पूड़ी कब खिलायेंगे। लोग फिर ठहाका लगाते हैं। युवा का आशय मृत्यु भोज से होता है। गमगीन माहौल में भी प्रसन्नता खोजने की कला उनके पास ही बची है। आप भी थोड़ा हंस लीजिए। आज विश्व प्रसन्नता दिवस है।
गांवों में ही बचा है हास- परिहास
हकीकत में गांव में अब हास- परिहास बच गया है। शहरों में औपचारिक संबंध ही रह गये हैं। निर्जीव। निरर्थक। बाजारू। ऐसे में प्रसन्नता विलुप्त हो चली है। प्रसन्नता के सूचकांक में कुल 143 देशों में भारत का स्थान 126वां हैं। 2024 की सूची के अनुसार फिनलैंड लगातार सातवीं बार पहले स्थान पर टिका हुआ है।
सोशल मीडिया पर खोज रहे खुशियां :
रील, सोशल मीडिया पर लोग खुशियां खोज रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार खुशियों का बाजार 124 लाख करोड़ रुपए से अधिक का हो चुका है। भारत में 50 करोड़ से अधिक इसके ग्राहक हैं। सोशल मीडिया के अलावा कॉमेडी शो में भी लोग प्रसन्नता की तलाश में लगे हैं।
अमीर, नौकरीपेशा भी खोज रहे खुशियां :
ऐसा नहीं कि आर्थिक तंगी में जी रहे लोग ही खुशी ढूढ रहे हैं बल्कि शानदार नौकरी करने वाले और खरबपति भी खुशी की तलाश में हैं। वेदांता ग्रुप के मालिक अनिल अग्रवाल बीते दिनों पटना आये थे। उन्होंने कहा कि रात में जब वे काम कर घर लौटते हैं तो उनके दो कुत्ते ही उनका इंतजार कर रहे होते हैं। मास रिजिग्नेशन का दौर भी हम देख चुके हैं। खुशी पाने के लिए लोग अपनी शानदार नौकरी भी छोड़ दिए। उनका मानना है कि नौकरी की वजह से ही उनके जीवन में तनाव है और वे प्रसन्नता से दूर हैं। International happiness day इसी की उपज है।
घर और नाते – रिश्तेदारी में छिपी है खुशी :
सच मानिये तो खुशी तो घर, नाते – रिश्तेदारी में ही छिपी है। अगर इनसे आपका रिश्ता मधुर है तो आपको कहीं भी खुशी खोजने का जरूरत नहीं है। डाक्टर विजय गोपाल मिश्र कहते हैं कि अगर आप स्वास्थ्य हैं तो आपका मन प्रसन्न रहेगा। शिक्षाविद डाक्टर रामरक्षा मिश्र विमल कहते हैं कि सकारात्मक सोच रखने वाले हर समय खुश रहते हैं। अभाव भी उनके लिए कोई मायने नही रखता। तो आइये हम ईर्ष्या, द्वेश का त्याग कर अपने सभी परिचितों से अपने रिश्ते को मधुर बनाने की ओर कदम बढ़ायें और हर दिन प्रसन्न रहें।
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