जन्मकुंडली में नवम भाव को धर्म भाव भी कहा जाता है

नवम भाव (9वां भाव) जन्मकुंडली में भाग्य, धर्म, उच्च शिक्षा, आध्यात्मिकता, गुरु, लंबी यात्राएं, और पिता का प्रतिनिधित्व करता है। इसे धर्म भाव भी कहा जाता है और यह जीवन के उच्च उद्देश्य और नैतिकता से जुड़ा होता है।

Written By : नीतेश तिवारी | Updated on: May 25, 2025 1:38 pm

नवम भाव से जुड़ी मुख्य बातें:

1. भाग्य (Fortune): यह भाव यह दर्शाता है कि जातक का भाग्य कितना मजबूत है और किस उम्र में भाग्य उदय होगा।

2. धार्मिकता और आध्यात्मिकता: व्यक्ति के धार्मिक रुझान, संस्कार और आस्था का संकेत देता है।

3. गुरु और शिक्षा: गुरु, मेंटॉर और उच्च शिक्षा (विशेषकर स्नातकोत्तर या विदेश से शिक्षा) से संबंधित होता है।

4. पिता से संबंध: नवम भाव पिता के साथ संबंधों और उनके जीवन की झलक भी देता है।

5. विदेश यात्रा और लंबी यात्राएं: विशेष रूप से तीर्थ यात्राओं और विदेश में बसने की संभावनाओं का संकेत देता है।

6. न्यायप्रियता और नैतिक मूल्य: जातक की सोच कितनी न्यायसंगत और उच्च विचारों वाली है, यह भी इससे पता चलता है।

नवम भाव में ग्रहों का प्रभाव:

सूर्य: धार्मिक प्रवृत्ति, पिता से जुड़ाव, आत्मविश्वास।

चंद्रमा: भावनात्मक धार्मिकता, तीर्थ यात्राओं का योग।

मंगल: साहसी धर्मपालक, कभी-कभी कट्टरता।

बुध: धार्मिक विचारों में तर्कशीलता, शिक्षा में रुचि।

गुरु (बृहस्पति): अत्यंत शुभ, उच्च धर्मिकता, भाग्यवृद्धि।

शुक्र: सुंदरता, विलासिता और संस्कृति से जुड़े धार्मिक दृष्टिकोण।

शनि: देर से भाग्य उदय, कर्म प्रधानता, रूढ़िवादी दृष्टिकोण।

राहु-केतु: भ्रमित धार्मिकता या विदेश में भाग्य, कर्म का फल।

जन्म कुंडली के नवम भाव (धर्म भाव) में स्थित राशियों का अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। प्रत्येक राशि की प्रकृति और स्वामी ग्रह के अनुसार नवम भाव में उनका शुभ या अशुभ प्रभाव तय होता है। नीचे नवम भाव में 12 राशियों और ग्रहों के सामान्य शुभ और अशुभ प्रभाव दिए गए हैं:

1. मेष राशि (स्वामी: मंगल)

शुभ प्रभाव: साहसी, धार्मिक यात्राएं, उत्साह से धर्म पालन।

अशुभ प्रभाव: कट्टर विचारधारा, जल्दबाज़ी में निर्णय।

2. वृषभ राशि (स्वामी: शुक्र)

शुभ प्रभाव: धर्म के साथ विलासिता का जुड़ाव, सौंदर्यप्रियता।

अशुभ प्रभाव: भौतिक सुखों में अधिक लिप्तता, आलस्य।

3. मिथुन राशि (स्वामी: बुध)

शुभ प्रभाव: तर्कशील धार्मिकता, शिक्षाविद, भाषण-कौशल।

अशुभ प्रभाव: धर्म में अस्थिरता, द्विविधा।

4. कर्क राशि (स्वामी: चंद्रमा)

शुभ प्रभाव: भावना से धर्म पालन, मां और परिवार से धर्म संस्कार।

अशुभ प्रभाव: अत्यधिक भावुकता से भ्रम।

5. सिंह राशि (स्वामी: सूर्य)

शुभ प्रभाव: उच्च आध्यात्मिकता, आत्मबल से धर्म का पालन।

अशुभ प्रभाव: अहंकारपूर्ण धर्माभिमान।

6. कन्या राशि (स्वामी: बुध)

शुभ प्रभाव: विश्लेषणात्मक धार्मिक दृष्टिकोण, सेवा भाव।

अशुभ प्रभाव: अति आलोचना और धर्म के प्रति संदेह।

7. तुला राशि (स्वामी: शुक्र)

शुभ प्रभाव: न्यायप्रियता, संतुलित धार्मिक दृष्टिकोण।

अशुभ प्रभाव: धर्म में दिखावा या केवल सामाजिकता।

8. वृश्चिक राशि (स्वामी: मंगल)

शुभ प्रभाव: गहराई से धर्म-अध्यात्म की समझ, रहस्यवादी रुचि।

अशुभ प्रभाव: कट्टरता या गुप्त धार्मिक एजेंडा।

9. धनु राशि (स्वामी: गुरु)

शुभ प्रभाव: अत्यंत भाग्यशाली, धार्मिक और सत्यवादी प्रवृत्ति।

अशुभ प्रभाव: अति उपदेशात्मक या दिखावटी धार्मिकता।

10. मकर राशि (स्वामी: शनि)

शुभ प्रभाव: कर्मप्रधान, अनुशासित धार्मिक जीवन।

अशुभ प्रभाव: अत्यधिक रूढ़िवादी, धर्म में कठोरता।

11. कुम्भ राशि (स्वामी: शनि-राहु)

शुभ प्रभाव: आध्यात्मिक स्वतंत्रता, वैज्ञानिक दृष्टिकोण।

अशुभ प्रभाव: परंपरागत धर्म से अलगाव या विद्रोह।

12. मीन राशि (स्वामी: गुरु)

शुभ प्रभाव: गहरी भक्ति, त्याग की भावना, उच्च आध्यात्मिक स्तर।

अशुभ प्रभाव: कल्पनात्मक धार्मिकता, व्यवहार से दूरी।

यहां सभी 9 प्रमुख ग्रहों के सामान्य शुभ और अशुभ प्रभाव बताए गए हैं:

1. सूर्य (Surya) – आत्मा, पिता, नेतृत्व

शुभ प्रभाव: आत्मबल, नेतृत्व क्षमता, उच्च पद, सरकार से लाभ।

अशुभ प्रभाव: अहंकार, गुस्सा, पिता से दूरी, हृदय रोग की संभावना।

2. चंद्रमा (Chandra) – मन, माता, भावना

शुभ प्रभाव: मानसिक शांति, करुणा, सौंदर्य, लोकप्रियता।

अशुभ प्रभाव: मानसिक अस्थिरता, अवसाद, माता से कष्ट।

3. मंगल (Mangal) – साहस, ऊर्जा, भूमि

शुभ प्रभाव: साहस, ऊर्जा, सैन्य या पुलिस सेवा में सफलता।

अशुभ प्रभाव: गुस्सा, झगड़े, रक्त संबंधी रोग, दुर्घटनाएं।

4. बुध (Budh) – बुद्धि, वाणी, व्यापार

शुभ प्रभाव: बुद्धिमत्ता, वाकपटुता, लेखन, गणना में दक्षता।

अशुभ प्रभाव: झूठ, चंचलता, भ्रम की स्थिति।

5. गुरु (Brihaspati/Jupiter) – ज्ञान, धर्म, गुरु

शुभ प्रभाव: उच्च शिक्षा, धर्मप्रियता, न्यायप्रियता, शुभ संतान।

अशुभ प्रभाव: आलस्य, अति आशावाद, मोटापा।

6. शुक्र (Shukra) – प्रेम, सौंदर्य, विलासिता

शुभ प्रभाव: कला, संगीत, आकर्षण, विवाह सुख, भोग-विलास।

अशुभ प्रभाव: कामवासना, भोग में डूबना, दांपत्य समस्याएं।

7. शनि (Shani) – कर्म, अनुशासन, श्रम

शुभ प्रभाव: कठोर परिश्रम, न्यायप्रियता, स्थायित्व।

अशुभ प्रभाव: विलंब, बाधाएं, गरीबी, अकेलापन।

8. राहु – छाया ग्रह, भटकाव, विदेश

शुभ प्रभाव: तकनीकी क्षेत्र में सफलता, विदेशी संबंध, रहस्यमय शक्ति।

अशुभ प्रभाव: भ्रम, व्यसन, धोखा, मानसिक तनाव।

9. केतु – मोक्ष, त्याग, रहस्य

शुभ प्रभाव: आध्यात्मिकता, परा विद्या में रुचि, त्याग की भावना।

अशुभ प्रभाव: अस्थिरता, अकेलापन, भ्रम या मानसिक अलगाव।

कोई भी ग्रह या राशि पूर्णतः शुभ या अशुभ नहीं होता। उसका प्रभाव लग्न, भाव, दृष्टि, युति, दशा और गोचर पर आधारित होता है।नीच का ग्रह आमतौर पर अशुभ होता है, और उच्च का ग्रह शुभ। शुभ भावों में स्थित ग्रह (जैसे 1, 5, 9, 10, 11) शुभ फल देता है, और अशुभ भावों (जैसे 6, 8, 12) में होने पर उसका फल कमजोर या अशुभ हो सकता है।

(नीतेश तिवारी, एमसीए, एमएचए हैं और ज्योतिष शास्त्र के अच्छे जानकार हैं.)

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