स्टील्थ लड़ाकू विमान बनाने के कार्यक्रम को मिली रक्षा मंत्रालय की मंजूरी

पिछले दिनों पहलगाम हमले के बाद भारत की ओर से चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर की सफलता में भारत के स्वदेशी हथियारों (Indigenous Weapons) ने जिस तरह का शानदार प्रदर्शन किया उसने पूरी दुनिया में भारत निर्मित रक्षा उत्पादों की साख बढ़ा दी। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान चीन और तुर्की जैसे देशों से आधुनिक हथियार खरीदने की कोशिश कर रहा है, वहीं  भारत सरकार का ध्यान अब हथियार निर्माण के क्षेत्र में स्वदेशी तकनीक और तंत्र विकसित कर उसे और मजबूत करने पर है।

Written By : रामनाथ राजेश | Updated on: May 27, 2025 11:53 pm

रक्षा मंत्रालय की ओर से मंगलवार को कहा गया  कि भारत के रक्षा मंत्री ने सबसे उन्नत स्टील्थ लड़ाकू जेट के निर्माण के लिए उसकी रूपरेखा को मंजूरी दे दी है। मंत्रालय ने कहा कि अब विमान निर्माण  कार्यक्रम को क्रियान्वित करने वाली देश सरकारी एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) जल्द ही दो इंजन वाले पांचवीं पीढ़ी के इस लड़ाकू विमान के प्रोटोटाइप को विकसित करने के लिए रक्षा उत्पाद में काम कर रही फर्मों से उनकी प्रारंभिक रुचि आमंत्रित करेगी।

ये परियोजना भारतीय वायु सेना के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत के पास अधिकतर विमान रूस या पूर्व सोवियत संघ के बने हुए हैं और अब वे पुराने हो गए हैं।  उन विमानों के स्क्वाड्रन स्वीकृत संख्या 42 से घटकर 31 रह गई है। पाकिस्तान की बात छोड़ भी दें तो पड़ोसी देश चीन अपनी वायु सेना का तेजी से विस्तार कर रहा है। पाकिस्तान के पास भी चीन के सबसे उन्नत युद्धक विमानों में शामिल जे-10 पहले से है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान दोनों पक्षों ने बड़े पैमाने पर ड्रोन का इस्तेमाल किया गया।

रक्षा मंत्रालय की योजना स्टील्थ फाइटर कार्यक्रम के लिए भारत एक घरेलू फर्म के साथ साझेदारी करने की तैयारी में जुटा है। भारतीय कंपनियां स्वतंत्र रूप से या संयुक्त उद्यम के रूप में बोली लगा सकती हैं, साथ ही कहा कि बोलियां निजी और राज्य के स्वामित्व वाली दोनों फर्मों के लिए खुली होंगी। मार्च में, एक भारतीय रक्षा समिति ने भारतीय वायु सेना की क्षमताओं को बढ़ाने और राज्य के स्वामित्व वाली हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HIAE.NS) पर बोझ को कम करने के लिए सैन्य विमान निर्माण में निजी क्षेत्र को शामिल करने की सिफारिश की थी, जो भारत के अधिकांश सैन्य विमान बनाती है। मौजूदा हालत को देखते हुए रक्षा मंत्रालय इस कार्यक्रम को यथाशीध्र आगे बढ़ाना चाहता है।

ये भी पढ़ें :-ट्रंप के दावे पर विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने तोड़ी चुप्पी और कह दी ये बड़ी बात…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *