फोरम के अध्यक्ष डॉक्टर अग्रवाल ने कहा कि यह प्रणाली पूरी तरह से गैर-ज़रूरी है, अगर इस प्रणाली को लागू किया जाता है तो अस्पताल प्रबंधन के अलावा डॉक्टरों और स्टाफ कर्मियों की सुरक्षा को भी गंभीर खतरा है।
उन्होंने बताया सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा 2016 में लागू की गाइडलाइंस के अनुसार दिल्ली के निजी अस्पतालों में लागू केन्द्रीय एसटीपी सिस्टम सुरक्षित और पर्याप्त हैं, इससे ट्रीटमेंट के बाद अस्पतालों का जल रिसाइकल होता है, और यह सिस्टम पूरी तरह से सभी सुरक्षा नियमों पर भी खरा उतर सका है लेकिन, ना जाने क्यों दिल्ली के सभी अस्पतालों को अपने-अपने यहां एसटीपी लगाने को मजबूर किया जा रहा है। यह प्रक्रिया कही भी सफल नहीं रही ,बल्कि इससे अस्पताल प्रशासन पर अतिरिक्त वित्तीय और तकनीकी बोझ पड़ने के साथ साथ आपातकालीन सेवाओं की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है।
फोरम के सभी सदस्यों के साथ अध्यक्ष डॉ. प्रेम अग्रवाल ने इस संबंध में उपराज्यपाल विनय सक्सेना महोदय से शीघ्र हस्तक्षेप करने के की मांग करते हुए कहा है कि प्रशासन उन अस्पतालों को एसटीपी लगवाने को बाध्य न करे जो पहले से ही केन्द्रीय सीवेज प्रणाली से जुड़े हुए हैं दिल्ली की सीवेज प्रणाली में सुधार करके अधिक मजबूत किया जाए जिससे दिल्ली के अस्पतालो पर बेवजह वित्तीय और तकनीकी दबाव न पड़े।
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