राजस्थान के सरकारी स्कूल की बिल्ड़िंग का एक हिस्सा गिर गया। यह दुर्घटना सुबह करीब आठ बजे हुआ जब छटी और सातवीं कक्षा की छत ढह गया। हादसे के वक्त स्कूल में 70 बच्चे मौजूद थे। इसके बाद पुलिस, प्रशासन, और NDRF की टीमें तुरंत मौके पर पहुंची और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। व्याकुल माता-पिता और शिक्षकों ने भी बचाव कार्य में मदद की। बच्चों को मलबे से बाहर निकालने के लिए कंक्रीट के स्लैब और पत्थरों को हटाया जा रहा है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि उन्होंने स्कूल की जर्जर हालात के बारे में तहसीलदार और उप-विभागीय मजिस्ट्रेट को सूचित किया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। उनका मानना है कि सरकारी तंत्र की नाकामी की वजह से निर्दोष बच्चों की मृत्यु हुई। एक छात्रा ने वहां मौजूद पत्रकारों को बताया कि पेड़ों की शाखाएं स्कूल की दीवारों तक पहुंच गई थीं और वहां लगातार पानी का रिसाव हो रहा था। झालावाड़ कलेक्टर अजय सिंह ने कहा कि जिला प्रशासन ने शिक्षा विभाग से उन सभी विद्यालयों की रिपोर्ट मांगी थी जो जर्जर हालात में है और इमारत कमजोर हो गई है। लेकिन उस सूची में पिपलोदी प्राइमरी स्कूल का नाम शामिल नहीं था। सिंह ने पीटीआई-भाषा से कहा, “मैं इसकी जाँच करवाऊँगा और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी।”
इस दुर्घटना के बाद आस-पास के इलाके में अफरा-तफरी मच गई। स्थानीय लोग बच्चों को बचाने के काम में जुट गए। घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाया गया। कोटा संभागीय आयुक्त राजेंद्र सिंह शेखावत घायल छात्रों और उनके परिजनों से मिलने झालावाड़ जिला अस्पताल पहुंचे। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने घटना पर शोक प्रकट करते हुए X पर लिखा, ‘’झालावाड़ के पीपलोदी में विद्यालय की छत गिरने से हुआ दर्दनाक हादसा अत्यंत दुःखद एवं हृदयविदारक है। घायल बच्चों के समुचित उपचार सुनिश्चित करने हेतु संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया गया है।ईश्वर दिवंगत दिव्य आत्माओं को अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करें तथा शोकाकुल परिजनों को यह अपार दुःख सहन करने की शक्ति दें।’’
इस घटना ने सरकारी स्कूलों की इमारतों की खराब हालात और रखरखाव पर चर्चा को दोबारा जीवित कर दिया है क्योंकि यह इस प्रकार की पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी कई सरकारी स्कूलों की बिल्ड़िंग ढह चुकी हैं। CBSE और अन्य शिक्षा बोर्ड पहले ही स्कूलों में सुरक्षा मानकों को लेकर गाइडलाइंस जारी कर चुके हैं परंतु इन्हें ठीक से लागू नहीं किया जा सका है।
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