क्लस्टर बस संचालकों को दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi Highcourt) ने आखिरी बार राहत दी है। कोर्ट ने बस संचालकों का खत्म हो रहा कॉन्ट्रैक्ट (Contract) 15 जुलाई तक बढ़ा दिया है। इस फैसले से दिल्ली के यात्रियों को बड़ी राहत मिली है और अब वे 15 जुलाई तक इन बसों का लाभ उठा सकेंगे।
कोर्ट का आदेश: 15 जुलाई तक यथा स्थिति रहे
सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट ( Delhi Highcourt ) में हुई सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने दिल्ली परिवहन विभाग (DTC) को निर्देश दिया कि 15 जुलाई तक क्लस्टर बस के मामले में एफिडेविट दाखिल करें । तब तक स्थिति यथावत बनाए रखें। कोर्ट के इस आदेश से दिल्ली की सड़कों पर 109 रूटों पर चलने वाली 997 क्लस्टर बसें 15 जुलाई तक ऐसे ही चलती रहेंगी।
परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत की वैकल्पिक योजना की मांग
परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने सवाल उठाते हुए नोट में लिखा है कि ,”अभी तो डिपोज के इलेक्ट्रिफिकेशन का फाइनैंशनल एप्रूवल होना भी बाकी है। उसके बाद 12 से 18 महीने डिपो में इलेक्ट्रिफिकेशन का काम पूरा करने में लगेंगे। इस दौरान ये डिपोज भी बिना किसी इस्तेमाल के खाली पड़े रहेंगे। परिवहन विभाग ने इस बारे में भी कोई वैकल्पिक सुझाव नहीं दिया है कि तब तक इन डिपोज का क्या इस्तेमाल किया जाएगा।”
परिवहन मंत्री का मानना है कि इतनी सारी बसों को सड़कों से हटा देने से लोग फिर से प्राइवेट गाड़ियों का इस्तेमाल करने पर मजबूर हो जाएंगे, जिससे सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के दिल्ली सरकार की कोशिशों को गहरा धक्का लगेगा और दिल्ली के पर्यावरण पर भी इसका बहुत खराब असर पड़ेगा।
बस ऑपरेटर्स पर उठाए गए सवाल
परिवहन विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि सरकार अनुमति देती है, तो कॉन्ट्रैक्ट (Contract ) बढ़ाया जा सकता है। लेकिन विभाग ने अपनी रिपोर्ट में क्लस्टर बस ऑपरेटर्स की सेवाओं को लेकर बसों की सही मेंटेनेंस न होना, एसी बसें न लाना, रूट चार्ट और टाइमिंग का पालन न करना जैसे कई सवाल उठाए हैं। इसी वजह से विभाग का इन कंपनियों का कॉन्ट्रैक्ट बढ़ाने का कोई इरादा नहीं है।
क्लस्टर बसों का महत्व और वैकल्पिक योजना
दिल्ली के कई बड़े हिस्सों को क्लस्टर 6, 7, 8 और 9 के तहत चलने वाली 997 बसें कवर करती हैं। ये बसें विशेषकर ग्रामीण इलाकों और रेलवे स्टेशन, बस अड्डों को दूरदराज के क्षेत्रों से जोड़ती हैं। नई बसों के आने और डिपोज के इलेक्ट्रिफिकेशन (Electrification ) में समय लगने के कारण, सरकार का मानना है कि बिना वैकल्पिक इंतजाम के बसों को नहीं हटाया जाना चाहिए। पहले भी क्लस्टर 3, 4 और 5 के तहत बसें चलाने वाली कंपनियों को नई बसें आने तक 2 साल का एक्सटेंशन दिया गया था।
कर्मचारियों और ड्राइवर कंडक्टरों की नौकरी पर भी संकट
क्लस्टर बसों के 7 डिपो बंद होने पर 350 स्थायी कर्मचारियों के साथ लगभग 4000 ड्राइवर- कंडक्टरों की नौकरी पर भी संकट है। बस डिपो का संचालन करने वाली कंपनी डिम्ट्स ने 350 कर्मचारियों को पिछ्ले महीने नोटिस भेजकर कार्यकाल खत्म होने की जानकारी दी है। अब चालकों और परिचालकों को भी 19 जून से नौकरी की अवधि खत्म होने की मौखिक जानकारी दी गई है। 10 साल से इन डिपो में काम कर रहे कर्मचारियों ने दूसरी नौकरी दिए जाने की मांग की है। इसके लिए रविवार को उन्होंने सीमापुरी, दिलशाद गार्डन और राजघाट डिपो में कामकाज बंद कर विरोध जताया और धरने पर बैठ गए।