मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, रैली में अप्रत्याशित भीड़ उमड़ने, बिजली गुल होने और निकासी मार्गों में अव्यवस्था के कारण अफरा-तफरी मच गई। लोग एक साथ बाहर निकलने लगे और इसी दौरान दबकर 8 बच्चों और कई महिलाओं सहित 35 की मौत हो गई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “तमिलनाडु के करूर में हुआ हादसा हृदयविदारक है। मृतकों के परिजनों के प्रति मेरी संवेदनाएं। घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना करता हूँ। केंद्र सरकार हरसंभव सहायता के लिए तमिलनाडु सरकार के संपर्क में है।”
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी घटना पर दुख जताया। उन्होंने कहा, “करूर में रैली के दौरान हुई भगदड़ में अनेक लोगों की मृत्यु अत्यंत दुखद है। मैं दिवंगत आत्माओं की शांति और शोकसंतप्त परिवारों को धैर्य प्रदान करने की प्रार्थना करती हूँ। घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करती हूँ।”
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं और मृतकों के परिजनों के लिए मुआवजे की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि प्रशासन को निर्देश दिया गया है कि राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर चलाया जाए।
विशेषज्ञों का कहना है कि भीड़ नियंत्रण और आपदा प्रबंधन में गंभीर लापरवाही इस त्रासदी का मुख्य कारण रही। घटना के बाद सुरक्षा इंतज़ामों और बड़े राजनीतिक आयोजनों की व्यवस्थाओं को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं।
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