मामले में कोर्ट ने कहा कि जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और आरोपी को जेल भेजना आवश्यक है ताकि गवाहों पर दबाव न बने और पुलिस स्वतंत्र रूप से साक्ष्य एकत्र कर सके। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि ऐसे मामलों में पीड़िताओं की सुरक्षा और निष्पक्ष जांच सर्वोपरि है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चैतन्यानंद सरस्वती के दो महिला सहयोगियों को भी हिरासत में लिया गया था, जिन्होंने छात्राओं पर दबाव बनाने की बात कबूल की, हालांकि बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया।
इस पूरे मामले ने एक बार फिर तथाकथित “धार्मिक गुरुओं” की आड़ में चल रहे घोटालों और दुष्कर्म की घटनाओं को उजागर कर दिया है। पुलिस का कहना है कि आगे की जांच में और भी कई चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।
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