Jagannath Temple : दशकों बाद खुला जगन्नाथ पुरी का खजाना , पढ़ें पूरी खबर

पुरी में 12वीं सदी में बने जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple) के खजाने के इंटरनल सेक्शन को 46 सालों के बाद रविवार (14 जुलाई) को खोला गया। कीमती सामान के ऑडिट के लिए इसे इतने सालों बाद खोला गया है।

जगन्नाथ मन्दिर के खजाने का ऑडिट
Written By : दीक्षा शर्मा | Updated on: July 15, 2024 12:06 pm

Jagannath temple, Puri: चार धामों में से एक,  जगन्नाथ पुरी मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था। इस मंदिर में एक रत्न भंडार है। कहा जाता है कि इसी रत्न भंडार में जगन्नाथ मंदिर के तीनों देवताओं जगन्नाथ, बालभद्र और सुभद्रा के गहने रखे गए हैं। जगन्नाथ मंदिर ( Jagannath Temple) के खजाने के इंटरनल सेक्शन को 46 सालों के बाद बीते रविवार (14 जुलाई) को खोला गया। इसे कीमती सामान के ऑडिट के लिए खोला गया था। रविवार को राज्य सरकार द्वारा नियुक्त उच्च स्तरीय समिति के प्रमुख, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधिकारियों और मंदिर ट्रस्ट के प्रतिनिधियों की 11 सदस्य वाली टीम की उपस्थिति में इसका दरवाजा खोला गया। इस भंडार कक्ष का आखिरी ऑडिट, साल 1978 में किया गया था। तत्कालीन ओडिशा सरकार ने कहा था कि भंडार में 149.6 किलोग्राम से अधिक सोने के गहने, कीमती पत्थरों से जड़ित, 258.3 किलोग्राम चांदी के बर्तन और अन्य सामान थे।

Jagannath Temple

स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर के तहत हुआ काम 

श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाढ़ी ने कहा कि हमने SOP के अनुसार सभी काम किए हैं। हमने सबसे पहले रत्न भंडार का बाहरी कक्ष खोला और वहां रखे सभी आभूषणों और कीमती सामानों को मंदिर के अंदर बने अस्थायी स्ट्रॉन्ग रूम में स्थानांतरित कर दिया। हमने स्ट्रांग रूम को सील कर दिया है। इसके बाद टीम ने आंतरिक कक्ष के तीन ताले तोड़ दिए। क्योंकि हमें दी गई चाबियों का इस्तेमाल करके हम इसे नहीं खोल सकते थे। टीम के सदस्यों ने समय की कमी के कारण आंतरिक कक्ष के अंदर रखे लकड़ी के बक्से को न खोलने का फैसला किया।

जगन्नाथ मंदिर में 1978 के ऑडिट के दौरान लगे कितने दिन

पाढ़ी ने कहा, ”आंतरिक कक्ष में रखे आभूषणों और रत्नों को किसी अन्य दिन मंदिर परिसर के अंदर एक अस्थायी स्ट्रॉन्ग रूम में ट्रांसफर कर दिया जाएगा क्योंकि मंदिर प्रशासन बहुदा यात्रा (वापसी रथ उत्सव) और अन्य अनुष्ठानों में व्यस्त रहेगा।”

Jagannath Temple

लोगों ने बताया कि 1978 के ऑडिट के दौरान अधिकारियों को कीमती सामान की सूची तैयार करने में 70 दिन लग गए थे।

जगन्नाथ मंदिर के आंतरिक कक्ष में क्या था 

राज्य द्वारा गठित ऑडिट समिति के प्रमुख, रिटायर्ड जज विश्वनाथ रथ ने कहा, “टीम ने आंतरिक कक्ष में पांच लकड़ी के बक्से, चार लकड़ी की अलमारियां और एक स्टील की अलमारी देखी। कई अन्य सामान भी वहां हो सकते हैं, क्योंकि हमें अभी अलमारियों के पीछे की जांच नहीं करनी है।”

Jagannath Temple के आंतरिक कक्ष को अंतिम बार 1985 में खोला गया था

बता दें कि रत्न भंडार में दो खंड होते हैं। एक बाहरी कक्ष, जिसे समय-समय पर अलग-अलग अनुष्ठानों के लिए खोला जाता है। एक आंतरिक कक्ष जिसे आखिरी बार 1985 में भगवान बल भद्र के लिए नए आभूषण बनाने और चांदी के आभूषण और कपड़े निकालने के लिए खोला गया था। मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि गर्भगृह में गेट है। हालांकि बता दें 1985 में कोई ऑडिट नहीं किया गया था।

संदूकों के लिए सागवान की लकड़ी का उपयोग 

अरबिंद पाढ़ी ने ये भी बताया कि रत्न भंडार के बाहरी कक्ष की तीन चाबियां उपलब्ध थीं, जिनमें से एक गजपति महाराज के पास, दूसरी एसजेटीए (SJTA ) के पास और तीसरी एक सेवक के पास थी। उन्होंने बताया कि आंतरिक कक्ष की चाबी गायब है, हालांकि उसे नई चाबी से खोलने के बाद सील कर दिया जाएगा। जिलाधिकारी की निगरानी में नई चाबी को जिला कोषागार में रखा जाएगा। रत्न भंडार में रखे गए कीमती सामान को रखने के लिए लकड़ी के छह संदूक मंदिर में लाए गए हैं। इन संदूकों के भीतरी हिस्से में पीतल लगा हुआ है। एक अधिकारी ने बताया कि सागवान की लकड़ी से बने ये संदूकें 4.5 फुट लंबी, 2.5 फुट ऊंची और 2.5 फुट चौड़ी हैं।

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