पंडित सियाराम तिवारी की जयंती के उपलक्ष्य में हुआ शास्त्रीय संगीत सभा का आयोजन

ध्रुपद सम्राट पद्मश्री पंडित सियाराम तिवारी जी की 106 वीं जयंती के उपलक्ष्य में शास्त्रीय संगीत सभा का आयोजन बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन भवन, कदमकुआँ, पटना में नाद-विस्तार समिति एवं लेट्स इंस्पायर बिहार गार्गी अध्याय के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।

Written By : डेस्क | Updated on: April 13, 2025 8:15 pm

इस अवसर पर पटना, दरभंगा, गया तथा बेतिया घराने के गायक, वादक एवं नर्तक ने अपनी-अपनी कलाओं से पंडित सियाराम तिवारी को स्वरांजलि दी। कार्यक्रम का उद्घाटन डाॅ. अनिल सुलभ जी ने किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में डाॅ. रत्नापुरकायस्था जी, श्रीमती निशा मदन झा जी, रुक्मिणी सिंह जी, एन. पी. झा जी थे। अन्य गणमान्य लोगों में पंडित रघुवीर मल्लिक, डाॅ. ओम प्रकाश नारायण, विनीता तिवारी, अनुभा गुप्ता, उपस्थित थे।

कार्यक्रम की शुरुआत मंगलवाद्य मृदंगवादन से हुई। दरभंगा घराने के युवा मृदंग वादक कौशिक कुमार मल्लिक ने समा बाँध दी। दूसरी प्रस्तुति ध्रुपद जुगलबंदी की हुई जिसे दरभंगा घराने के गुरु पंडित विनोद कुमार पाठक और शिष्य कुमार वंश प्रभात ने पेश किया। राग यमन में ध्रुपद तथा राग भूप कल्याण में धम्मार प्रस्तुत कर लोगों को झूमा दिया। इनके साथ पखावज पर संगति की दरभंगा घराने के ही उत्कृष्ट कलाकार संगीत कुमार पाठक ने।

तीसरी प्रस्तुति डाॅ. राजकुमार नाहर द्वारा ख़याल गायन की हुई। इनके साथ संतोष कुमार ने तबले पर संगति कर दर्शकों को खूब आनंदित किया। चौथी और आखरी प्रस्तुति कत्थक समूह नृत्य की हुई जिसे पेश किया श्री कुमार कृष्ण किशोर और उनकी शिष्याओं ने। इनकी नृत्य मंडली में तबला वादन श्री प्रवीर कुमार, मृदंग वादन श्री संगीत कुमार पाठक, वायलिन वादन श्री सुरेश कुमार तथा गायन और लहरा में विनोद कुमार पाठक ने प्रस्तुति में चार चाँद लगा दिए। कत्थक नृत्य की शुरुआत शिवस्तुति से की। उसके बाद उठान, थाट, आमद, परण, तिहाई को बड़े ही उत्कृष्ट भाव के साथ प्रस्तुत किया।

श्रीकृष्ण और राधा रानी की मधुर छेड़छाड़ पर आधारित गतनिकास को प्रस्तुत किया। काहे रोकत डगर प्यारे नन्दलाल मेरो बोल पर ठुमरी को बड़े ही नज़ाकत के साथ पेश किया। अंत में तत्कार को प्रस्तुत करते हुए दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

पंडित सियाराम तिवारी की जयंती से जुड़े इस कार्यक्रम का  मंच संचालन नम्रता कुमारी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन आशा पाठक ने किया। बिहार की घरानेदार कलाओं का प्रदर्शन और प्रचार-प्रसार करना तथा बिहार के शास्त्रीय विधाओं को जीवित रखना इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य था।

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