जाति-धर्म की दीवारें तोड़ने वाले आचार्य किशोर कुणाल का निधन

महावीर मंदिर पटना न्यास समिति के सचिव और पूर्व आईपीएस आचार्य किशोर कुणाल का रविवार को निधन हो गया। उनके सुधारात्मक कार्यों को बिहार हमेशा याद रखेगा।

आचार्य किशोर कुणाल (File photo)
Written By : MD TANZEEM EQBAL | Updated on: December 29, 2024 4:23 pm

पटना: बिहार ने रविवार सुबह एक प्रतिष्ठित व्यक्तित्व को खो दिया। महावीर मंदिर पटना न्यास समिति के सचिव और 1972 बैच के पूर्व आईपीएस अधिकारी आचार्य किशोर कुणाल का निधन हो गया। उन्हें देर रात सांस लेने में तकलीफ होने के बाद महावीर वात्सल्य अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां सुबह 8 बजे हृदय गति रुकने से उनका देहांत हो गया। 74 वर्षीय आचार्य किशोर कुणाल के निधन से धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।

दलित-सवर्ण समाज के लिए आदर्श उदाहरण
आचार्य किशोर कुणाल ने सवर्ण भूमिहार समाज में जन्म लिया, लेकिन उनका दलित समाज के प्रति विशेष लगाव था। यह लगाव उनके व्यक्तिगत जीवन में भी झलकता है। उनके बेटे सायण कुणाल ने दिसंबर 2022 में बिहार के ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी से शादी की। अशोक चौधरी दलित समाज से आते हैं, और इस रिश्ते ने बिहार के सामाजिक ढांचे में नई सोच को बल दिया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस विवाह में शामिल होकर इसे एक महत्वपूर्ण सामाजिक क्रांति करार दिया।

महावीर मंदिर ट्रस्ट और उनके सुधारात्मक प्रयास
आचार्य किशोर कुणाल ने पटना के महावीर मंदिर ट्रस्ट को विश्व पटल पर एक नई पहचान दिलाई। जब वे 1983 में पटना के एसएसपी थे, तभी उन्होंने महावीर मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य शुरू कराया। वर्तमान में यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि मानव सेवा के क्षेत्र में भी एक मिसाल है। मंदिर की आय का उपयोग महावीर कैंसर संस्थान, महावीर वात्सल्य अस्पताल और अन्य सामाजिक योजनाओं में किया जाता है।

उनके प्रयासों के तहत दलित समाज के लोगों को मंदिरों में पुजारी बनने का अधिकार मिला। पटना के महावीर मंदिर में दलित पुजारियों की तैनाती उनके सुधारात्मक दृष्टिकोण का प्रमाण है।

धर्म और समाज को जोड़ने का प्रयास
आचार्य किशोर कुणाल ने धर्म और जाति आधारित भेदभाव को समाप्त करने के लिए उल्लेखनीय कार्य किए। बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि विवाद के दौरान उन्होंने सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने का भरपूर प्रयास किया। 1993 में महावीर कैंसर संस्थान की स्थापना के समय उन्होंने सभी धर्मों के प्रतिनिधियों को गवर्निंग बॉडी में शामिल किया। दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी ने इस संस्थान के शिलान्यास में हिस्सा लिया, जबकि इसके उद्घाटन के लिए 1998 में दलाई लामा ने पटना का दौरा किया।

उन्होंने यह साबित किया कि धार्मिक और सामाजिक भेदभाव के बावजूद समाज में सौहार्द और एकता की स्थापना संभव है। सीतामढ़ी में बन रहे दुनिया के सबसे बड़े राम मंदिर के लिए मुस्लिम समुदाय ने करोड़ों की जमीन दान की, जो उनकी कोशिशों का ही नतीजा था।

अंतिम यात्रा और श्रद्धांजलि
आचार्य किशोर कुणाल का पार्थिव शरीर पटना के गोसाईं टोला स्थित उनके आवास “सायण निलयम” में रखा गया है। सोमवार को उनकी अंतिम यात्रा सुबह 9 बजे कुर्जी स्थित आवास से निकलेगी, जो महावीर मंदिर होते हुए हाजीपुर के कौनहारा घाट पर पहुंचेगी।

उनके निधन पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी, समस्तीपुर की सांसद शांभवी चौधरी, डीजीपी विनय कुमार, और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।

आचार्य किशोर कुणाल की विरासत
बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने धर्म के प्रति नई सोच विकसित की। उन्होंने मानवता की सेवा को प्राथमिकता दी और मंदिर की आय का उपयोग सामाजिक उत्थान में किया।

उनके प्रयासों ने बिहार के धार्मिक और सामाजिक ढांचे को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका जाना न केवल धार्मिक समाज के लिए बल्कि पूरे बिहार के लिए एक बड़ी क्षति है। नई पीढ़ी उन्हें एक सच्चे सुधारक और समाजसेवी के रूप में याद करेगी।

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