अमेरिकी हमले से नाराज ईरान ने दी होर्मूज जलडमरूमध्य बंद करने की धमकी, दुनिया में बढ़ी चिंता

इजरायल और ईरान के बीच जारी युद्ध में रविवार को अमेरिका भी कूद पड़ा। अमेरिकी विमानों ने भारतीय समय के अनुसार रविवार तड़के ईरान के तीन मुख्य परमाणु स्थलों—फोर्डो, नतांज़ और इस्फहान पर बम बरसाये।  अमेरिकी हमलों के जवाब में, ईरान ने इजरायल पर ताबड़तोड़ मिसाइल हमले करके उसके शहरों को भारी नुकसान पहुंचाया। इसके बाद ईरानी संसद ने होर्मूज जलडमरूमध्य बंद करने का प्रस्ताव पारित किया। हालांकि.  इसे लागू करने के पहले ईरान के सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की मंज़ूरी ज़रूरी है। लेकिन, इससे पूरी दुनिया की चिंता बढ़ गई है।

Written By : रामनाथ राजेश | Updated on: June 23, 2025 1:47 am

अमेरिकी हमले में B‑2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर, GBU‑57 माम्बा “बंकर बस्टर” बमों का इस्तेमाल किया गया। अमेरिकी दावों मे कहा गया कि तीनों जगहों पर भारी क्षति पहुंची है। विशेषकर विशेषकर नतांज़ स्थित परमाणु संवर्धन केंद्र पर जिससे ईरानी यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम पर कई सालों के लिए रोक लग सकती है। गनीमत है कि किसी तरह का रेडिएशन रिसाव नहीं हुआ। होर्मूज जलडमरूमध्य वह समु्द्री मार्ग है जिससे दुनिया का लगभग 20%  तेल और गैस की ढुलाई होती है। यदि बंद हुआ, तो इससे तेल की कीमतों में 100–150 रुपये प्रति बैरल तक बढ़ जाने की आशंका है।

इससे घरेलू दामों में भी तेजी आएगी। इससे भारत समेत कई एशियाई देशों की ऊर्जा सुरक्षा प्रभावित होगी। मुंबई, चेन्नई सहित सभी तेल आयातक बंदरगाहों पर दबाव बढ़ेगा । हालांकि भारत सरकार ने कहा है कि देश के लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि भारतीय तेल कंपनियों के पास तेल  का पर्याप्त भंडार है।

होर्मूज जलडमरूमध्य को बंद करने के मुद्दे पर सांसद इस्माइल कोसरी और  इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स ( IRGC) के अधिकारियों ने स्पष्ट कहा कि यह “गंभीरता से विचाराधीन” है IRGC नौसेना प्रमुख अलिरज़ा तंगसिरी ने कहा कि “हमारे पास इसे बंद करने की क्षमता है, लेकिन इसका निर्णय उच्च स्तर पर निर्भर करता है। अमेरिका के हमले की निंदा करते हुए ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अरघची ने इस हमले को “संयुक्त राष्ट्र के चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन” करार दिया। ईरान ने स्ट्रेट ऑफ होर्मुज़ बंद करने और तेल शिपिंग बाधित करने समेत कई विकल्पों की चेतावनी दी है ।रूस और चीन ने भी अमेरिकी हमले की आलोचना की है ।भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने शांति और कूटनीति की वकालत करते हुए मामले की डिअस्केलेशन पर जोर दिया ।

ये भी पढ़ें :-“ऑपरेशन सिंदूर: यूनाइटेड भारत की प्रतिक्रिया” कार्यक्रम में गूंजी राष्ट्रीय एकता की आवाज

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *