आईजीएनसीए में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के डेवलपर्स मार्केटिंग हेड डॉ. बालेंदु शर्मा दाधीच थे।
कृत्रिम मेधा के व्यावहारिक उपयोगों पर दी विस्तृत जानकारी
डॉ. बालेंदु शर्मा दाधीच ने कृत्रिम मेधा के व्यावहारिक उपयोगों पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) न केवल तकनीकी क्षेत्र में बल्कि दैनिक जीवन के अनेक पहलुओं में भी अत्यंत सहायक सिद्ध हो रही है। उन्होंने कृत्रिम मेधा यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की संभावनाओं, क्षमताओं और चुनौतियों के बारे में बताते हुए कहा कि एआई से हमारी नौकरी नहीं जाएगी, बल्कि उस व्यक्ति के हाथों जाएगी, जो हमसे बेहतर एआई जानता है।
इस अवसर पर अन्य विशिष्ट वक्ताओं में श्री वेकेंटेश्वर कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राचार्य प्रो. वनलाल रवि, साइबर लॉ विशेषज्ञ श्री पवन दुग्गल, सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता एवं तकनीकी विशेषज्ञ श्रीमती खुशबू जैन और आईजीएनसीए के डीन (अकादमिक) प्रो. प्रतापानंद झा ने भी अपने विचार साझा किए।
आईजीएनसीए के राजभाषा विभाग के प्रभारी प्रो. अरुण भारद्वाज ने इस संगोष्ठी की पूर्वपीठिका के बारे में बताया और धन्यवाद ज्ञापन किया। वहीं मीडिया सेंटर के नियंत्रक अनुराग पुनेठा ने कहा कि कृत्रिम मेधा यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आज की सच्चाई है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।
कृत्रिम मेधा के विविध आयामों पर हुई चर्चा
संगोष्ठी में वक्ताओं ने कृत्रिम मेधा के विविध आयामों जैसे सुरक्षा, कानूनी पहलुओं, शैक्षणिक उपयोगिता और सामाजिक प्रभाव पर चर्चा की। कार्यक्रम में उपस्थित श्रोताओं ने विशेषज्ञों से प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया।
आईजीएनसीए के अधिकारियों ने बताया कि इस प्रकार के कार्यक्रम समाज में तकनीकी जागरूकता बढ़ाने और नवीन तकनीकों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में सहायक सिद्ध होते हैं। कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों सहित विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों, आईटी कंपनियों और तकनीकी विशेषज्ञों सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।
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