तेजस्वी यादव ने पलटवार करते हुए कहा कि वह व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं करना चाहते, लेकिन सम्राट चौधरी की भाषा न सिर्फ अपमानजनक है, बल्कि यह सदन की गरिमा के भी खिलाफ है। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के आचरण से लोकतंत्र को ठेस पहुंचती है। पेपर लीक से जुड़े सवालों पर भी सम्राट चौधरी ने आरोपों को स्वीकार नहीं किया और कहा कि बिहार में आजतक कोई भी पेपर लीक नहीं हुआ। विपक्ष ने स्पीकर से कार्रवाई की मांग की और सदन में जमकर नारेबाजी की।
गौरतलब है कि इस प्रकार की टिप्पणी विधानमंडल की नियमावली के तहत विशेषाधिकार हनन (breach of privilege) या सदन की अवमानना (contempt of House) के अंतर्गत आती है। ऐसे मामलों में विधान सभा की विशेषाधिकार समिति जांच कर सकती है और चेतावनी (admonition), निलंबन (suspension) या यहां तक कि अस्थायी कारावास (imprisonment for session) जैसी सज़ाएं दी जा सकती हैं।
मानसून सत्र में इससे पहले भी विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच कई बार टकराव हो चुका है। 21 से 23 जुलाई के बीच सदन में SIR प्रक्रिया को लेकर विपक्ष ने सरकार पर मतदाता सूची से गरीबों, दलितों और पिछड़ों के नाम हटाने के आरोप लगाए हैं। विधानसभा अध्यक्ष द्वारा बार-बार शांत रहने की अपील के बावजूद, विपक्षी विधायकों ने नारेबाज़ी और विरोध जारी रखा।
इस पूरे विवाद पर आरजेडी विधायक तेज प्रताप यादव ने कहा, “पूरा देश देख रहा था कि कैसे सत्ता पक्ष के लोग गुंडागर्दी पर उतर आए। बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी को शालीन भाषा का प्रयोग करना चाहिए, वरना जनता उन्हें सबक सिखाएगी।” उन्होंने छोटे भाई तेजस्वी के समर्थन में ये भी कहा कि किसी के लिए भी उसके पिता के खिलाफ ऐसे अपमानजनक शब्दों को सुनना अस्वीकार्य है।
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मुलताई में कुछ बैंक, कुछ शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बिना पार्किंग के संचालित हो रहे हैं, तथा कुछ लोगों ने पार्किंग के लिए जगह बहुत कम दी है। जो वाहन पार्किंग के लिए पर्याप्त नहीं है। इससे ग्राहको को वाहन खड़े करने में बहुत परेशानी होती है। आखिर बिना पार्किंग के बैंक कैसे संचालित हो रहे हैं। ये तो नियमों का उल्लघंन हो रहा है। सड़क किनारे वाहन खड़े करने से यातायात व्यवस्था प्रभावित होती है। कई बार दुर्घटना तक हो जाती है। सरकारी जमीन पर वाहन खड़े हो रहे हैं । जबकि जिस भवन मे बैंक संचालित होती है उसकी स्वयं की पार्किंग होना जरूरी है। मुलताई में संचालित सभी बैंकों की पार्किंग व्यवस्था की जांच होना चाहिए।
कुछ बेसमेंट बिना अनुमति के बने हैं। कुछ व्यावसायिक भवनों के नक्शे बिना पार्किंग दिए पास हुए हैं। कुछ लोगों ने सरकारी जमीन पर पक्का अतिक्रमण कर लिया है। जांच होना चाहिए।
रवि खवसे, मुलताई (मध्यप्रदेश)