बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों का एलान, राजनीतिक हलचल तेज़

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों की घोषणा हो चुकी है। इस बार का चुनाव त्रिकोणीय मुकाबले में बदल गया है — नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर तीनों ही जनता के बीच अपनी सियासी ताकत आज़माने को तैयार हैं। जानिए कब होगा मतदान, किस मुद्दे पर लड़े जाएंगे चुनाव और क्या हैं इस बार के मुख्य राजनीतिक समीकरण।

Written By : उदय सिंह | Updated on: October 6, 2025 6:49 pm

भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने बहुप्रतीक्षित बिहार विधानसभा चुनावों 2025 की तारीखों की घोषणा कर दी है। मतदान दो चरणों में होगा — 6 नवंबर और 11 नवंबर को, जबकि गिनती 14 नवंबर को की जाएगी। यह चुनाव देशभर में इसलिए खास माने जा रहे हैं क्योंकि इसे 2026 के आम चुनावों से पहले का सबसे अहम राजनीतिक मुकाबला कहा जा रहा है।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ग्यानेश कुमार ने इस चुनाव को लोकतंत्र का एक बड़ा पर्व बताया। उन्होंने कहा, “बिहार चुनाव सभी चुनावों की जननी है, इसी वजह से 8.5 लाख अधिकारियों को इस बार की चुनावी ड्यूटी पर लगाया गया है।”
उन्होंने आगे बताया कि 243 विधानसभा सीटों के लिए मतदान की प्रक्रिया 22 नवंबर तक पूरी कर ली जाएगी, जब वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा।

बिहार विधानसभा चुनाव के तीन धुरंधरों में सियासी टक्कर

इस बार का बिहार चुनाव एक त्रिकोणीय मुकाबले के रूप में उभर रहा है।
एक ओर हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जो जदयू (JD(U)) के साथ भाजपा-नीत NDA गठबंधन का नेतृत्व कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में गठबंधन बदलने के बाद, नीतीश का साथ भाजपा के लीए भाजपा के लिए बोझ होगा या फ़ायदा, नतीजे यही बताएंगे।

वहीं दूसरी ओर हैं तेजस्वी यादव, जो राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और INDIA गठबंधन के प्रमुख चेहरे के रूप में मैदान में हैं। तेजस्वी बेरोज़गारी, शिक्षा और युवाओं के मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे हैं और उनका नारा है — “ऐसी सरकार जो सुने।” बिहार मतदाता सूची के विरोध में भारत (INDIA) गठबंधन की आवाज़ सबसे तेज़ थी। साथ ही, राहुल गांधी ने इस बार बिहार में जो वोटर अधिकार यात्रा शुरू की, उसे विश्लेषकों के अनुसार सीधे उन क्षेत्रों में केंद्रित किया गया जहाँ नीतीश कुमार का वोट बैंक मजबूत है।

तीसरे मोर्चे पर हैं प्रशांत किशोर, जिन्होंने जन सुराज पार्टी के ज़रिए स्वतंत्र रूप से राजनीति में कदम रखा है। उनका संदेश “स्वच्छ राजनीति और जनता आधारित शासन” पर केंद्रित है, जो युवाओं और पहले बार वोट डालने वालों में लोकप्रियता पा रहा है। जन सुराज चुनाव में ‘वाइल्ड कार्ड’ के रूप में मौजूद है, और यह देखना होगा कि क्या एक नई पार्टी खुद को बिहार के स्थापित राजनीतिक परिदृश्य में कायम रख पायेगी या नहीं।

सुरक्षा और चुनाव प्रबंधन पर जोर 

निर्वाचन आयोग ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने पर विशेष जोर दिया है। दो चरणों में होने वाले इस चुनाव के लिए 8.5 लाख से अधिक कर्मचारी और केंद्रीय सुरक्षा बल तैनात किए जाएंगे।
संवेदनशील और दूरदराज के इलाकों में अतिरिक्त निगरानी की व्यवस्था की गई है।

सभी मतदान केंद्रों पर ईवीएम (EVM) और वीवीपैट (VVPAT) मशीनों का इस्तेमाल होगा। इसके साथ ही लाइव मॉनिटरिंग और पारदर्शिता के लिए नई तकनीकों का भी प्रयोग किया जाएगा।

आगे की राह

आगामी हफ्तों में चुनाव प्रचार अपने चरम पर पहुंचने की उम्मीद है।
NDA के लिए यह चुनाव है विश्वसनीयता और निरंतरता की परीक्षा,
INDIA गठबंधन के लिए जनता के भरोसे को फिर से जीतने का अवसर,और प्तीसरे पक्ष के लिए यह उनके राजनीतिक प्रयोग की असली कसौटी साबित करने का अवसर मिलेगाजैसे-जैसे नवंबर करीब आ रहा है, एक बात साफ है —पटना की जंग इस बार सिर्फ बिहार की नहीं, बल्कि पूरे देश की राजनीति को झकझोरने वाली साबित हो सकती है।

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