बिहार विधानसभा में वोटर लिस्ट मुद्दे पर माहौल गरम, काले कपड़ों में आए विपक्ष ने लगाए ये आरोप

बिहार विधानसभा (Bihar Legislative Assembly) के मानसून सत्र (Monsoon Session) के दौरान विशेष वोटर लिस्ट संशोधन प्रक्रिया (Special Intensive Revision - SIR) को लेकर सियासी पारा अपने चरम पर है। विपक्ष लगातार यह आरोप लगा रहा है कि राज्य में गरीब, दलित और पिछड़े वर्ग (Backward Classes) के मतदाताओं के नाम जानबूझकर मतदाता सूची (Electoral Roll) से हटाए जा रहे हैं। सोमवार को विपक्षी दलों के नेताओं ने काले कपड़े पहनकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और सदन की कार्यवाही को बाधित किया।

Written By : महिमा चौधरी | Updated on: July 23, 2025 10:31 pm

23 जुलाई, बुधवार को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने सदन में कहा, “हमारे पास कई वीडियो फुटेज हैं, जिनमें बूथ लेवल ऑफिसर ( BLO) खुद लोगों के फॉर्म भरते और अंगूठा लगवाकर हजारों आवेदन जमा करते नजर आ रहे हैं। ये लोकतंत्र के साथ सीधा खिलवाड़ है।” तेजस्वी ने सवाल उठाया, “किसी भी BLO ने यह रिपोर्ट नहीं दी कि बांग्लादेशी, म्यांमार या नेपाली नागरिक वोटर लिस्ट में घुसपैठ कर रहे हैं। फिर सरकार और चुनाव आयोग कैसे ऐसे दावे कर रहे हैं?”

21 जुलाई को विधानसभा में 50,000 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट (Supplementary Budget) पेश किया गया, वहीं 22 जुलाई को वोटर लिस्ट में संशोधन की प्रक्रिया को लेकर विपक्ष ने फिर से प्रदर्शन किया। स्पीकर नंद किशोर यादव (Nand Kishore Yadav) ने बार-बार विधायकों से शांति बनाए रखने की अपील की, लेकिन नारेबाज़ी और वेल में प्रदर्शन के चलते कार्यवाही बार-बार स्थगित करनी पड़ी।

चुनाव आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, SIR प्रक्रिया के अंतर्गत लगभग 20 लाख मृतक (Deceased) और 7 लाख डुप्लीकेट (Duplicate) नामों को हटाया गया है। लेकिन विपक्ष का आरोप है कि यह कार्रवाई पक्षपातपूर्ण है और इसका उद्देश्य खास वर्गों को मतदान (Voting) के अधिकार से वंचित करना है।

22 जुलाई को भी सदन में वोटर लिस्ट संशोधन प्रक्रिया के खिलाफ जबरदस्त हंगामा देखने को मिला। RJD और कांग्रेस (Congress) विधायकों ने “नीतीश कुमार चुप्पी तोड़ो” और “SIR वापस लो” जैसे नारे लगाए। कई बार मार्शल्स को हस्तक्षेप करना पड़ा। सदन की गरिमा बनाए रखने की कोशिशों के बावजूद, हंगामे के चलते कई अहम विधेयकों पर चर्चा नहीं हो सकी।

विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट के मुद्दे ने बिहार (Bihar) के राजनीतिक तापमान काफी बढ़ा दिया है। जहां सत्ता पक्ष इसे एक पारदर्शी और वैधानिक प्रक्रिया बता रहा है, वहीं विपक्ष इसे मतदाता अधिकारों पर हमला मानते हुए बड़े आंदोलन की चेतावनी दे रहा है।

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