23 जुलाई, बुधवार को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने सदन में कहा, “हमारे पास कई वीडियो फुटेज हैं, जिनमें बूथ लेवल ऑफिसर ( BLO) खुद लोगों के फॉर्म भरते और अंगूठा लगवाकर हजारों आवेदन जमा करते नजर आ रहे हैं। ये लोकतंत्र के साथ सीधा खिलवाड़ है।” तेजस्वी ने सवाल उठाया, “किसी भी BLO ने यह रिपोर्ट नहीं दी कि बांग्लादेशी, म्यांमार या नेपाली नागरिक वोटर लिस्ट में घुसपैठ कर रहे हैं। फिर सरकार और चुनाव आयोग कैसे ऐसे दावे कर रहे हैं?”
21 जुलाई को विधानसभा में 50,000 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट (Supplementary Budget) पेश किया गया, वहीं 22 जुलाई को वोटर लिस्ट में संशोधन की प्रक्रिया को लेकर विपक्ष ने फिर से प्रदर्शन किया। स्पीकर नंद किशोर यादव (Nand Kishore Yadav) ने बार-बार विधायकों से शांति बनाए रखने की अपील की, लेकिन नारेबाज़ी और वेल में प्रदर्शन के चलते कार्यवाही बार-बार स्थगित करनी पड़ी।
चुनाव आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, SIR प्रक्रिया के अंतर्गत लगभग 20 लाख मृतक (Deceased) और 7 लाख डुप्लीकेट (Duplicate) नामों को हटाया गया है। लेकिन विपक्ष का आरोप है कि यह कार्रवाई पक्षपातपूर्ण है और इसका उद्देश्य खास वर्गों को मतदान (Voting) के अधिकार से वंचित करना है।
22 जुलाई को भी सदन में वोटर लिस्ट संशोधन प्रक्रिया के खिलाफ जबरदस्त हंगामा देखने को मिला। RJD और कांग्रेस (Congress) विधायकों ने “नीतीश कुमार चुप्पी तोड़ो” और “SIR वापस लो” जैसे नारे लगाए। कई बार मार्शल्स को हस्तक्षेप करना पड़ा। सदन की गरिमा बनाए रखने की कोशिशों के बावजूद, हंगामे के चलते कई अहम विधेयकों पर चर्चा नहीं हो सकी।
विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट के मुद्दे ने बिहार (Bihar) के राजनीतिक तापमान काफी बढ़ा दिया है। जहां सत्ता पक्ष इसे एक पारदर्शी और वैधानिक प्रक्रिया बता रहा है, वहीं विपक्ष इसे मतदाता अधिकारों पर हमला मानते हुए बड़े आंदोलन की चेतावनी दे रहा है।
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