राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बराबरी का बंटवारा NDA के भीतर शक्ति संतुलन का नया संकेत है। 2020 के चुनाव में JDU को 115 और बीजेपी को 110 सीटें मिली थीं, लेकिन परिणामों में बीजेपी आगे निकल गई थी। इस बार बीजेपी ने स्पष्ट किया कि गठबंधन “समान भागीदारी” के सिद्धांत पर चलेगा।
गठबंधन के इस नए समीकरण ने विपक्षी महागठबंधन (राजद-कांग्रेस-वाम दल) को भी सतर्क कर दिया है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बीजेपी-JDU की बराबरी से लड़ाई बिहार की सियासत में नए समीकरण और संभावित सत्ता संतुलन की कहानी लिख सकती है।
चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 29, जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) को 6 और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) को 6 सीटें दी गई हैं।
इस तरह NDA ने कुल 243 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों की हिस्सेदारी तय कर दी है। इस बंटवारे के साथ गठबंधन में लंबे समय से चल रही अटकलों और मतभेदों पर विराम लग गया है। खास बात यह है कि बीजेपी और JDU के बीच इस बार बराबरी का फार्मूला अपनाया गया है, जिससे “बड़ा-छोटा भाई” का पुराना राजनीतिक समीकरण समाप्त हो गया है।
नई दिल्ली में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, लोजपा(रामविलास) के चिराग पासवान, हम प्रमुख जीतन राम मांझी और RLJP प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की मौजूदगी में यह समझौता अंतिम रूप से तय किया गया।
बैठक के बाद नीतीश कुमार ने कहा, “हम सब मिलकर बिहार को आगे बढ़ाने के लिए चुनाव लड़ेंगे। NDA पूरी एकजुटता के साथ मैदान में उतर रहा है।” वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा, “अब NDA में कोई बड़ा या छोटा भाई नहीं — सब समान भागीदार हैं।”
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह बराबरी का बंटवारा बिहार की राजनीति में नया समीकरण पैदा करेगा। पिछली बार 2020 के चुनाव में JDU को कम सीटें मिली थीं, जबकि बीजेपी ने बेहतर प्रदर्शन किया था। इस बार दोनों दल समान आधार पर उतरकर गठबंधन को संतुलन देने की कोशिश कर रहे हैं।
विपक्षी महागठबंधन (राजद-कांग्रेस-वामदल) ने इसे “संभावित असंतोष को ढकने की कवायद” बताया है, लेकिन NDA का दावा है कि यह साझेदारी “विकास और स्थिरता” पर आधारित है।
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