जानकारी के अनुसार, कटिहार, बक्सर, जहानाबाद, अरवल, गोपालगंज, सुपौल और जमुई जैसी सात विधानसभा सीटों पर महागठबंधन के भीतर ही मुकाबला खड़ा हो गया है। कटिहार में कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार मैदान में उतार दिया है जबकि इसी सीट पर राजद का प्रत्याशी भी ताल ठोक रहा है। बक्सर में भी कांग्रेस और राजद दोनों ने दावेदारी जताई है।
जहानाबाद में वामदल का उम्मीदवार राजद के अधिकृत प्रत्याशी के सामने है। अरवल में सीपीआई(एमएल) के उम्मीदवार के सामने राजद ने भी अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया है। गोपालगंज में राजद और कांग्रेस दोनों के समर्थक गुट आमने-सामने हैं। सुपौल में कांग्रेस और वीआईपी के बीच सीट को लेकर विवाद खुलकर सामने आ गया है। वहीं जमुई में कांग्रेस और राजद के बीच टिकट को लेकर खींचतान इतनी बढ़ी कि दोनों ने अपने-अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए। बिहारशरीफ की सीट पर भी यही हाल है। इन सीटों पर गठबंधन की अंतर्कलह का सीधा लाभ एनडीए को मिलने की संभावना जताई जा रही है।
इसी बीच, महागठबंधन को एक और झटका तब लगा जब झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने बिहार में अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। झामुमो ने छह सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने का फैसला लिया है। पार्टी का कहना है कि उसे गठबंधन में उपेक्षित किया गया, इसलिए वह स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेगी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इन घटनाओं ने महागठबंधन की एकजुटता की पोल खोल दी है। अभी चुनाव की प्रक्रिया शुरू ही हुई है और सहयोगी दलों के बीच टकराव ने विपक्षी गठबंधन की तैयारियों पर सवाल खड़ा कर दिया है। कुल मिलाकर, चुनावी रण में उतरने से पहले ही महागठबंधन के बंधन खुलने लगे हैं, जबकि एनडीए मजबूती से तालमेल बनाकर मैदान में उतर चुका है।
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