बिहार चुनाव : महागठबंधन के ‘तेजस्वी प्रण ’में लगाई गई वादों की झड़ी, एनडीए ने किया कटाक्ष

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर विपक्षी महागठबंधन ने शुक्रवार को पटना के मौर्या होटल में अपना साझा घोषणापत्र “बिहार का तेजस्वी प्रण” जारी किया। इसे महागठबंधन ने राज्य का विकास और सामाजिक न्याय का रोडमैप बताया। मंच पर RJD के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव के साथ VIP के मुकेश सहनी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, CPI-ML और CPI के प्रतिनिधि, तथा अन्य घटक दलों के वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। इन सभी नेताओं ने घोषणापत्र के महत्व और बिहार के भविष्य में इसके योगदान पर प्रकाश डाला।

पटना स्थित मौर्या होटल में जारी हुआ महागठबंधन का घोषणा पत्र ' बिहार का तेजस्वी प्रण'
Written By : रामनाथ राजेश | Updated on: October 29, 2025 12:03 am

तेजस्वी प्रण नाम से जारी इस घोषणापत्र में मुख्य रूप से रोजगार, किसानों, महिलाओं और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में बड़े वादे किए गए हैं। महागठबंधन ने इसे “नए बिहार के निर्माण का रोडमैप” बताया।

घोषणापत्र के प्रमुख बिंदु

  • हर परिवार को एक सरकारी नौकरी – सरकार बनने के 20 दिन के भीतर कानून लाया जाएगा और 20 महीनों के भीतर क्रियान्वयन शुरू होगा।
  • संविदा व आउटसोर्स कर्मियों और “जीविका दीदियों” का स्थायीकरण – मासिक वेतन ₹30,000।
  • घर‑घर 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली – प्रत्येक घरेलू उपभोक्ता को प्रारंभिक 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली।
  • महिलाओं को मासिक सहायता – गरीब परिवारों की महिलाओं को ₹2,500 प्रतिमाह आर्थिक सहायता।
  • किसानों के लिए MSP गारंटी व मंडियों का पुनरुद्धार – सभी फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद।
  • प्राचीन पेंशन योजना की बहाली – सरकारी कर्मचारियों के लिए Old Pension Scheme लागू करना।
  • स्वास्थ्य व सामाजिक कल्याण – ₹25 लाख तक मुफ्त स्वास्थ्य बीमा; विधवा, वृद्ध व दिव्यांगजन के लिए पेंशन में वृद्धि।
  • शिक्षा और रोजगार विस्तार – महिला कॉलेज, डिग्री कॉलेज और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए शुल्क-मुक्ति।
  • उद्योग व निवेश को बढ़ावा – आईटी पार्क, SEZ, कृषि-आधारित उद्योग और एक्सप्रेसवे का विकास।
  • सामाजिक न्याय व अल्पसंख्यक अधिकारों की सुरक्षा – वक्फ संपत्ति प्रबंधन में पारदर्शिता, आरक्षण को बढ़ावा।

बताया जा रहा है कि बिहार सरकार का सालाना बजट कुल 3 लाख 16 हजार करोड़ रुपये का है जबकि इन वादों को पूरा करने के लिए बजट को 10 लाख करोड़ रुपय करने की जरूरत होगी. ऐसी स्थिति में इन वादों को पूरी करे के लिए ये रुपये कहां से आएँगे इसकी कहीं कोई चर्चा नहीं की गई है। इसीलिए विपक्षी नेताओं नेघोषणापत्र जारी होते ही एनडीए नेताओं ने इसे “लोकलुभावन और अव्यावहारिक वादों का पुलिंदा” करार दिया।

लोजपा आर नेता चिराग पासवान ने कहा:

“झूठ बोलने में क्या जाता है — जो जानते हैं कि सत्ता में नहीं आने वाले, वे बड़े-बड़े वादे कर रहे हैं। लोगों ने कभी मुख्यमंत्री नहीं बनाया, फिर खुद को जननायक कहने का हक कैसे ?”

उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा:

“महागठबंधन के भीतर भ्रम और आंतरिक कलह है। उनके पास न कोई स्पष्ट रणनीति है और न नेतृत्व। उन्हें बताना चाहिए कि इन योजनाओं के लिए पैसे कहां से आएंगे, क्या बजट लगेगा,किन चीजों से पूरा करेंगे?’

केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने कहा :

‘तेजस्वी यादव बिहार की जनता को सिर्फ सपने बेचने की कोशिश कर रहे हैं।’

विश्लेषकों का कहना है कि महागठबंधन का घोषणापत्र युवाओं, किसानों और महिलाओं को केन्द्र में रखकर सत्ता परिवर्तन और विकास एजेंडा पेश करने की कोशिश है, जबकि एनडीए इसे अवास्तविक वादों का दस्तावेज़ बता रहा है।

राजनीतिक मायने

घोषणापत्र के बाद बिहार की चुनावी राजनीति एक नया मोड़ ले चुकी है। महागठबंधन ने बड़े वादों और सामाजिक न्याय के एजेंडे को लेकर जनता का ध्यान खींचा है। वहीं विरोधी दलों ने इन वादों की व्यावहारिकता और वित्तीय बजट-संगतता पर प्रश्न उठाए हैं। आने वाले हफ्तों में ये घोषणाएँ और उनके निहित परिणाम चुनावी बहस का केंद्र बनेंगे।

मंच पर मौजूद नेताओं की उपस्थिति और घोषणापत्र के बिंदु यह दर्शाते हैं कि महागठबंधन की योजना राज्य में बदलाव और विकास के लिए एक ठोस रोडमैप पेश करने की है, जबकि एनडीए की प्रतिक्रिया इसे चुनौतिपूर्ण और अवास्तविक बताती है।

ये भी पढ़ें :-महागठबंधन में अब भी एक दूसरे के खिलाफ प्रचार करेंगे प्रत्याशी

One thought on “बिहार चुनाव : महागठबंधन के ‘तेजस्वी प्रण ’में लगाई गई वादों की झड़ी, एनडीए ने किया कटाक्ष

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *