बिहार चुनाव : राहुल और तेजस्वी का हमला, शाह-योगी का पलटवार

बिहार विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान ने बुधवार को चरम रूप ले लिया, जब एक ओर महागठबंधन की ओर से कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आरजेडी प्रमुख तेजस्वी यादव मंच पर उतरे, वहीं दूसरी ओर एनडीए ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता जैसे दिग्गजों को मैदान में झोंक दिया। पूरे राज्य में माहौल चुनावी नारों, विरोधी आरोपों और विकास के वादों से गूंजता रहा।

बिहार चुनाव में प्रचार के लिए उतरे महागठबंधन और एनडीए के दिग्गज
Written By : रामनाथ राजेश | Updated on: October 29, 2025 10:02 pm

राहुल गांधी का प्रधानमंत्री मोदी पर सीधा वार

राहुल गांधी ने बुधवार को मुज़फ़्फरपुर और सकरा की सभाओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर तीखा हमला बोला। भीड़ से खचाखच भरे मैदान में उन्होंने कहा, “अगर आप कहेंगे कि मोदी जी वोट की जगह नाचिए, तो वे मंच पर नाच ही देंगे। लेकिन बिहार को नाचने की ज़रूरत नहीं, सोचने की ज़रूरत है।”

राहुल ने भाजपा सरकार पर “वोट चोरी” और “रिमोट कंट्रोल की राजनीति” का आरोप लगाया। उनका कहना था कि “नीतीश कुमार की नहीं, बिहार में भाजपा की सरकार चल रही है। मुख्यमंत्री के हाथ में कुछ नहीं, रिमोट दिल्ली में है।” उन्होंने युवाओं और किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि महागठबंधन सत्ता में आया तो छोटे व्यवसायों के लिए “मेड इन बिहार” अभियान शुरू किया जाएगा, ताकि युवाओं को पलायन न करना पड़े।
छठ पर्व और धार्मिक भावना का हवाला देते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री पर तंज कसा —“छठ पूजा के नाम पर यमुना को ढका जा रहा है। अगर गंगा-यमुना की सफाई ही नहीं कर पाए तो आस्था की बात कैसे करेंगे?” राहुल गांधी ने जनता से कहा कि यह चुनाव “वोट से बदलाव” का है — “इस बार बिहार का बेटा और बेटी अपने भविष्य के लिए वोट दें, चेहरे के लिए नहीं।”

तेजस्वी यादव की रोजगार और शिक्षा पर हुंकार

तेजस्वी यादव ने राहुल के साथ मंच साझा करते हुए कहा कि बिहार की असली समस्या बेरोज़गारी और पलायन है। उन्होंने युवाओं की ओर मुखातिब होकर कहा — “हमने वादा किया है कि सत्ता में आने पर पहली कैबिनेट में 10 लाख सरकारी नौकरियों की प्रक्रिया शुरू करेंगे। बिहार को नफरत नहीं, अवसर की ज़रूरत है।” तेजस्वी ने एनडीए सरकार पर तंज करते हुए कहा कि “जो लोग 15 साल से शासन में हैं, वे अब भी बिहार को पिछड़ा कह रहे हैं, तो इसका मतलब वे अपनी नाकामी स्वीकार कर रहे हैं।” उन्होंने किसानों के कर्ज़ माफी और शिक्षा के लिए बजट बढ़ाने का आश्वासन दिया।

अमित शाह का पलटवार: ‘वंशवाद बनाम विकास’ की बात

एनडीए की ओर से अमित शाह ने दरभंगा में जबरदस्त जनसभा को संबोधित किया और महागठबंधन पर “परिवारवादी राजनीति” का आरोप लगाया। उन्होंने कहा —“लालू जी चाहते हैं कि बेटा मुख्यमंत्री बने, सोनिया जी चाहती हैं कि बेटा प्रधानमंत्री बने। लेकिन देश में कोई खाली कुर्सी नहीं है। जनता का तख्त जनता के हाथ में है।”

शाह ने विकास के एजेंडे को आगे रखते हुए दरभंगा में मेट्रो, एम्स और एयरपोर्ट जैसे बड़े प्रोजेक्ट की घोषणा की। उन्होंने कहा कि एनडीए की सरकार “काम और विकास” की राजनीति करती है, जबकि विपक्ष केवल “नारा और नाराज़गी” की राजनीति करता है। उनका कहना था — “महागठबंधन का मॉडल भ्रष्टाचार, अपराध और परिवारवाद पर आधारित है। भाजपा का मॉडल विकास, सुरक्षा और स्वाभिमान पर टिका है।” शाह ने महिला सशक्तिकरण, युवाओं के लिए उद्योग नीति और किसान क्रेडिट योजनाओं का उल्लेख करते हुए दावा किया कि बिहार में केंद्र की योजनाओं से सबसे अधिक लाभ मिला है।

योगी आदित्यनाथ का सख्त संदेश, ‘जंगलराज नहीं लौटेगा’

योगी आदित्यनाथ ने सिवान और आसपास के इलाकों में रैलियां कीं और कहा कि बिहार को “माफिया और अराजकता” के दौर में वापस नहीं लौटने देना चाहिए। उन्होंने कहा — “यह चुनाव विकास बनाम माफिया राज का है। बिहार में जो लोग अपराध और जाति की राजनीति करते हैं, उन्हें जनता जवाब देगी।” योगी ने अपने ‘बुलडोजर मॉडल’ का ज़िक्र करते हुए कहा कि यूपी की तरह बिहार में भी कानून का राज कायम करना जरूरी है। उन्होंने महागठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि “जिनके घर से अपराध पनपता है, वे अब फिर से सत्ता में लौटने का सपना देख रहे हैं।” भोजपुरी में जनता को संबोधित करते हुए योगी बोले — “हमनी के बिहार के माटी में अपराध अब न पनपे, एह बार विकास के सरकार बनाईं।”

राजनीतिक संदेश और रणनीति का टकराव

बिहार की राजनीति ने बुधवार को साफ कर दिया कि अब यह चुनाव सिर्फ वादों का नहीं, बल्कि छवि और भविष्य की दिशा का संघर्ष बन गया है। महागठबंधन ने राहुल-तेजस्वी की जोड़ी के जरिए रोजगार, शिक्षा और सामाजिक न्याय का मुद्दा उठाया है, वहीं एनडीए अमित शाह और योगी आदित्यनाथ जैसे चेहरों के माध्यम से विकास, कानून-व्यवस्था और स्थिरता का संदेश देने में जुटा है। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर तीखे शब्दों में प्रहार किए, लेकिन उनकी रणनीति स्पष्ट रही —महागठबंधन जनता की नाराजगी और बेरोजगारी को भुनाना चाहता है, जबकि एनडीए अपने “डबल इंजन” शासन के कामों पर भरोसा कर रहा है।

राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की संयुक्त रैलियों ने विपक्ष के लिए ऊर्जा पैदा की है, जबकि अमित शाह और योगी आदित्यनाथ की सभाओं ने भाजपा कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया है।
चुनाव अब उस मोड़ पर पहुंच चुका है जहां हर शब्द, हर रैली और हर नारा मतदाता के मन में छाप छोड़ रहा है।

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