बिहार की सियासत गरमाई : यूपी और महाराष्ट्र में तेजस्वी यादव के खिलाफ केस, ये है मामला

बिहार की राजनीति में इन दिनों सियासी पारा चढ़ा हुआ है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और राजद नेता तेजस्वी यादव के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने और सोशल मीडिया पोस्ट डालने के आरोप में  महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में  प्राथमिकी ( FIR) दर्ज की गई है। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले इन मामलों को लेकर प्रदेश की राजनीति में गरमाहट आ गई है।

Written By : रामनाथ राजेश | Updated on: August 23, 2025 11:51 pm

पहली FIR महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में दर्ज की गई। यहाँ BJP विधायक मिलिंद रामजी नरोटे ने शिकायत की कि तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर पीएम मोदी को लेकर एक व्यंग्यात्मक पोस्ट साझा किया था। इस पोस्ट में प्रधानमंत्री को ‘झूठ और जुमलों की दुकान” से जोड़ते हुए उनकी आलोचना की गई थी। शिकायत के आधार पर गढ़चिरौली पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 196 (घृणा फैलाना), 356 (मानहानि), 352 (जानबूझकर अपमान) और 353 (लोकशत्रुता फैलाने वाले बयान) के तहत मामला दर्ज किया है।

उत्तर प्रदेश में FIR

दूसरी FIR उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में BJP महानगर अध्यक्ष शिल्पी गुप्ता की शिकायत पर दर्ज हुई। आरोप है कि तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री को “वोट चोर” कहते हुए सोशल मीडिया पर अपमानजनक टिप्पणी की। इस पर पुलिस ने BNS की धारा 353(2) (अफवाह फैलाना) और 197(1)A (तस्वीरों के माध्यम से आरोप लगाना) के तहत केस दर्ज किया।

तेजस्वी यादव की प्रतिक्रिया

कटिहार में वोटर अधिकार यात्रा के दौरान तेजस्वी यादव ने कहा— “FIR से कौन डरता है? ‘जुमला’ शब्द बोलना भी अब अपराध बना दिया गया है। हम सच बोलते रहेंगे।” उन्होंने NDA सरकार पर वादाखिलाफी के आरोप लगाए और कहा कि जनता से किए वादों का हिसाब मांगा जाना लोकतंत्र का हिस्सा है।

अन्य राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

इन FIR पर सियासी बयानबाज़ी भी तेज हो गई है। बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में भाषा की मर्यादा जरूरी है और तेजस्वी की भाषा अनुचित थी। बीजेपी सांसद संजय जायसवाल ने कहा कि तेजस्वी और राहुल गांधी जैसे नेता सोचते हैं कि पीएम की आलोचना से उनकी लोकप्रियता बढ़ेगी, जो गलत है। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पीएम मोदी पर की गई टिप्पणी को निंदनीय बताया।  दूसरी ओर राजद नेताओं ने पलटवार करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री से वादों का हिसाब मांगना अपराध नहीं है। विपक्ष इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला बता रहा है। देखना होगा कि इस कानूनी कार्रवाई का असर बिहार की चुनावी राजनीति पर किस तरह पड़ता है।

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