फिल्म समीक्षा : परिवार के साथ देखने लायक फिल्म है Binny and Family

फिल्म बिन्नी ऐंड फेमिली 27 सितंबर को सिनेमा घरों में रिलीज हो गई। ये एक ऐसी फिल्म है जिसे आज के दौर में पारिवारिक रिश्तों में जेनरेशन गैप के साथ कम्यूनिकेशन गैप को बहुत बारीकी से दर्शाया गया है। पंकज कपूर जैसे दिग्गज अभिनेता ने फिल्म की कहानी में जान डाल दी है।

Binny and Family
Written By : रामनाथ राजेश | Updated on: November 5, 2024 11:39 am

इस तरह Binny and Family फिल्म परिवार के साथ देखने लायक बन गई है। विशेषकर फिल्म दूसरे हाफ में कई बार लोगों को भावुक कर देती है। फिल्म के लेखक और निर्देशक संजय त्रिपाठी हैं और इस फिल्म के जरिए दर्शकों के मानस पटल पर प्रभाव छोड़ने में कामयाब रहते हैं।

कलाकारों की बात की जाए तो वरुण धवन की भतीजी अंजिनी धवन ने इस फिल्म से डेब्ल्यू  किया है लेकिन अभिनय  के मामले में पंकज कपूर के साथ मुकाबले में कहीं कमजोर नहीं दिख रही। इसके अलावा राजेश कुमार, चारू शंकर और हिमानी शिवपुरी सभी अपनी भूमिकाओं के जरिए प्रभावित करने में सफल रहते हैं।

फिल्म की कहानी इस तरह है। बिहार स्थित बेतिया के एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर दंपति (पंकज कपूर- हिमानी शिवपुरी) के बेटा-बहू  (राजेश कुमार-चारू शंकर) पोती बिन्नी (अंजिनी धवन) के साथ लंदन में रहते हैं। तीनों पश्चिमी सभ्यता में रमे हुए हैं। हर साल दो महीने के लिए प्रोफेसर दंपति लंदन बेटे के पास जाकर रहते हैं। उस दौरान ये पूरा परिवार भारतीय परंपरा का पालन करने का ढोंग करता है। सबसे ज्यादा परेशानी बिन्नी को होती है क्योंकि ये दंपति दो महीने उसी के कमरे में रहता है। इस वजह से उसे अपनी जीवन शैली बदलनी पड़ती है। जिसके कारण वह अपने दादा-दादी से चिढ़ी रहती है लेकिन रिश्तों का लिहाज करके उनके सामने आदर्श पोती बनी रहती है और दोनों के वापस बिहार लौटने के दिन गिनते रहती है।

फिल्म Binny and Family की कहानी में मोड़ तब आता है जब प्रोफेसर दंपति के बिहार लौटने के कुछ ही दिनों बाद बिन्नी की दादी (हिमानी शिवपुरी) की तबीयत खराब हो जाती है इलाज के लिए बेटे पास लंदन जाने की तैयारी होती है लेकिन बिन्नी विद्रोह कर देती है इस वजह से उसके पिता (राजेश कुमार) को डॉक्टर का झूठा हवाला देकर अपनी मां का इलाज पटना में कराने को कहना पड़ता है। संयोग से बिन्नी की दादी की मौत हो जाती है और बिन्नी और उसकी मां को बिहार आना पड़ता है। अकेले पड़े (पंकज कपूर) को बेटे के पास लंदन जाना पड़ता है। तब बिन्नी अपनी दादी की मौत के लिए खुद को जिम्मेदार मानने लगती है और अपने दादा को दादी की मौत के सदमे से बाहर निकालने के लिए उनसे घुलने मिलने की कोशिश करती है। इस तरह दादा और पोती के बीच रिश्ता बिहार और लंदन की संस्कृति की खाई को पाटता दिखता है। इस बीच कहानी आगे बढ़ती जाती है और पंकज कपूर को ये बात पता चल जाती है कि उसके बेटे ने उससे उस डॉक्टर का झूठा हवाला दिया था जिसकी वजह से उनकी पत्नी (हिमानी शिवपुरी) का पटना में इलाज कराना पड़ा और उनकी मौत हो गई …..

कहानी इसके आगे भी है और पूरी फिल्म बिहार और लंदन के बीच फेमिली ड्रामा के रूप में बहुत अच्छी बन पड़ी है। भावुक क्षणों में दर्शक जेब से रुमाल निकालने के लिए मजबूर दिखे जो इस फिल्म के दमदार स्क्रीन प्ले और शानदार अभिनय का प्रमाण है। इस फिल्म को परिवार के साथ सिनेमा हॉल में जरूर देखना चाहिए।

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