इसमें कथित तौर पर एक पायलट ने दूसरे पायलट से ये सवाल पूछा- “तुमने फ्यूल (ईंधन) की सप्लाई ‘कट-ऑफ’ क्यों की ?” इस पर दूसरे पायलट ने जवाब दिया “मैंने ऐसा नहीं किया” ये सब प्लेन टेक-ऑफ होने के महज 3 सेकेंड बाद हुआ।
विमान का संञ्चालन को-पायलट क्लाइव कुंदर कर रहे थे, जिनके पास एक हज़ार से ज्यादा घंटो तक विमान उड़ाने का अनुभव था और पूरे सञ्चालन को कमांडर सुमित साभरवाल मॉनिटर कर रहे थे। इनके पास 8 हज़ार से अधिक घंटो तक उड़ान का अनुभव था, और वो कुछ ही माह में रिटायर भी होने वाले थे। रिपोर्ट में ये बात भी सामने आई है कि विमान में दाखिल होने से पहले दोनों पायलटों को आराम के लिए पर्याप्त समय दिया गया था और पूरे प्रोटोकॉल फॉलो किये गए थे।
बोइंग 787-8 विमान ने सामान्य रूप से टेक-ऑफ किया, लेकिन करीब 400 फीट की ऊंचाई पर पहुंचते ही दोनों इंजनों के फ्यूल कंट्रोल स्विच लगभग एक ही समय ‘रन’ से ‘’कट-ऑफ’ मोड में चले गए। ये स्विच ईंधन प्रवाह को नियंत्रित करते हैं और इन्हें बदलने के लिए सुरक्षा लॉक, स्प्रिंग-लोडेड ब्रैकेट और स्टॉप लॉक मैकेनिज्म होता है, जिससे इनका दुर्घटनावश बंद होना या खुलना असंभव माना जाता है।
ब्लैक बॉक्स रिकॉर्डिंग के अनुसार, इंजन बंद होने के कुछ ही सेकंड बाद दोनों स्विच वापस ‘रन’ पोजिशन में लाए गए, जिससे अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि पायलटों ने इंजन को दोबारा ऑन करने की कोशिश की थी, लेकिन कम ऊंचाई होने के कारण विमान को बैलेंस बनाए रखने का समय नहीं मिल पाया।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि इंजन बंद होते ही रैम एयर टरबाइन (रैट) और ऑक्जिलियरी पावर यूनिट (एपीयू) स्वतः सक्रिय हो गए। रैट एक इमरजेंसी टरबाइन है जो मुख्य और सहायक बिजली स्रोत बंद होने पर बाहर निकलकर बिजली उत्पन्न करता है। एपीयू, जो विमान के बिलकुल आखिरी हिस्से में होता है, ऑनबोर्ड सिस्टम्स को बिजली और हवा की सप्लाई देता है।
2018 में FAA ने इन स्विचेस के लॉकिंग सिस्टम को लेकर चेतावनी दी थी, लेकिन यह अनिवार्य नहीं थी और एयर इंडिया ने इसकी जांच नहीं करवाई थी। फिलहाल रिपोर्ट में तकनीकी खामी से इनकार किया गया है, जिससे जांच का केंद्र में पायलटों की कार्यशैली आ गई है। ज्ञात हो की प्रारंभिक रिपोर्टें आमतौर पर बहुत ही अधूरी होती हैं और दुर्घटना के वास्तविक कारणों का पता लगाए बिना केवल तथ्य पेश करती हैं।
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