रति सक्सेना के साथ पुरस्कारों और सम्मानों की एक बहुत लंबी सूची है. इन्होंने एक कवयित्री के रूप में इन्हें विश्व के अड़तालीस से अधिक कवि सम्मेलनों में आमंत्रित किया गया है। रति जी केंद्रीय साहित्य अकादमी के अनुवाद पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुकी हैं. उनकी नवीनतम प्रकाशित संग्रह सामान्य संग्रहों से अनेक अर्थों में भिन्न है।इस पुस्तक में कोई भूमिका नहीं है. सीधे विषय सूची के अंतर्गत कविताओं के नाम हैं।
124 पृष्ठ के इस संग्रह में छोटी बड़ी कुल 75 कविताएं हैं . रति जी विश्व कविता के प्रवाह के साथ रही हैं जिसका असर इनकी कविताओं में भी दिखाई देता है.कुछ शीर्षक देखिये -पहाड़ी रातें,एक ऋचा चप्पलों के लिए, जुले लेह,गर्भ जल के संस्कार,राह,सागर का खारापन इत्यादि.
कविताओं के कुछ पंक्तियों को देखिये: “कद ——– कद बढ़ते ही/ वे छांट देते हैं/धड़ के ऊपर से/ कद घटते ही/ पैरों को हटा/ लगा देते हैं/ खपच्चियां /लगतरकोशिष कर रहे हैं वे/कद को समानान्तर करने की. (‘कद’- पृष्ठ36) रति सक्सेना जी की भाषा बहुत ही सुंदर है और शब्दों चयन से यह एहसास हो जाता है कि शब्दों का इनके पास विपुल भंडार है. नई उपमाओं और भावों से समुद्री शीतल हवा के झोंका सा अनुभव होता है.
एक और कविता देखिये: “कभी भी/ मिटाया जा सकता है/लिखी इबारत को/ कहीं भी /निकाला जा सकता है/ चश्मा खोद कर/ शुरू हो सकता है / सफर कहीं भी/ ज़िंदगी / ज्योतिषी नहीं.” ( ‘ज़िंदगी का ज्योतिष’,पृष्ठ 63) नए बिम्ब कविताओं को एक नया आयाम देते हैं. एक अन्य छोटी कविता देखिये: “सांस की हकीकत ————————– बादलों के तंबू तनना/ सांस का खिंचना/कुछ इस तरह साथ साथ हुआ कि/बादल बन गए ssans/सांस खिचने लगी खाल सी/
सभी जानते हैं कि/ बादल हकीकत हैं ,बरसते हुए / कल्पना है ,खाली टहलते हुए/ सांस हकीकत होती है तभी/ चलती रहती है बादलों सी. (‘सांस की हकीकत’,पृष्ठ 66) संग्रह हिंदी कविता जगत में एक शीतल हवा के झोंका की तरह है. किसी किसी कविता को कवियित्री विस्तार देतीं तो और आनंद आता. संग्रह संग्रहणीय और पठनीय है.
शीर्षक :एक खिड़की आठ सलाखें , पृष्ठ: 124 ,
कवयित्री: रति सक्सेना
प्रकाशक : New World Publication मूल्य:रु.225.
(प्रमोद कुमार झा तीन दशक से अधिक समय तक आकाशवाणी और दूरदर्शन के वरिष्ठ पदों पर कार्यरत रहे. एक चर्चित अनुवादक और हिन्दी, अंग्रेजी, मैथिली के लेखक, आलोचक और कला-संस्कृति-साहित्य पर स्तंभकार हैं।)
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