आर्या झा की लगभग सभी कविताएँ सामान्य जीवन और उनमें अन्तर्निहित भावनाओं की कविताएं हैं जो सिर्फ और व सिर्फ यथार्थ से उपजी हैं. इनकी कविताओं में कल्पना की बहुत ऊंची उड़ान नहीं है!देश विदेश के संदर्भ , पुरातन पात्रों का भी संदर्भ नहीं है.
इनकी कविताएं एक माँ, एक गृहणी और एक स्त्री के मनोभावों की काव्यात्मक अभिव्यक्ति है. संग्रह की भूमिका में हिंदी के प्रातिष्ठित कवि, लेखक संपादक ओम निश्चल लिखते हैं “….आर्या झा का कहानीकार मन जितना सादा किस्सागोई में दिखता है, उतना ही सादा इन कविताओं में। जैसे कोरे कागद पर किये गए उसके अपने हस्ताक्षर हों। छोटी बड़ी कविताओं से बुना आर्या झा का यह कविता संसार लुभावना है। कविता के पथ पर अभी कुछ ही डग चली है यह कवयित्री किन्तु इनमें एक आभा है, एक संभावना है अपनी अभिव्यक्ति को पूर्णता देने की।
आर्या झा कविताओं के विशाल प्रांगण में आ गयी हैं तो उनका भरपूर स्वागत।ये कविताएँ पाठक को हल्के हल्के थाप से छूती हुई ,ऐसा मेरा विश्वास है।” देखिये आर्या की पहली कविता की की कुछ पंक्तियाँ ” …….तुम्हारा/गोद में आना/ सपन/ नैनों में झिलमिलाना / बिन बोले भाव जताना/…………….लिखूँ क्या /जो कहे/तुम्हें बेहतर/ इस जग में/ तुम मेरा हस्ताक्षर” (पृष्ठ13) देखिये कविता “स्वाभिमानी स्त्रियां” की कुछ पंक्तियाँ : ” देखती हैं जब/ हाथों की उभरी नसें/उम्र से पहले पड़ी/ माथे की सलवटें/……….वचन निभाती/नहीं पाती जब/ खुशयों में खुश होता सहचर/चित्कार उठती हैं/ ये स्वाभिमानी स्त्रियां.” (पृष्ठ55)
एक अलग मिज़ाज़ की ग़ज़लनुमा कविता में आर्या का एक अलग कवि रूप सामने आता है देखिये : “खूबसूरत था वो लम्हा/जब हम न रहे तन्हा/जीवन बना किताब मानिंद/ हर्फ़ मैं और वो सफ़हा/ …… असर वह करता गया/रंगरेज़ सा रंगता गया/मोहब्बत बनकर आया/मुझमें इश्क भरता गया। (पृष्ठ85)
112 पृष्ठ के इस कविता संग्रह में छोटी बड़ी अलग-अलग मिज़ाज़ की 109 कविताएं हैं. कविताओं के चयन में कवयित्री थोड़ी सावधानी बरततीं तो संग्रह और ध्यान आकृष्ट करती. कविताओं में निखार तो हमेशा संभव है. संग्रह पठनीय अवश्य है.
कविता संग्रह : तुम मेरा हस्ताक्षर
कवि: आर्या झा
प्रकाशक: सर्व भाषा ट्रस्ट, पृष्ठ:112
प्रकाशन वर्ष: 2024,मूल्य: रु.199
(प्रमोद कुमार झा तीन दशक से अधिक समय तक आकाशवाणी और दूरदर्शन के वरिष्ठ पदों पर कार्यरत रहे. एक चर्चित अनुवादक और हिन्दी, अंग्रेजी, मैथिली के लेखक, आलोचक और कला-संस्कृति-साहित्य पर स्तंभकार हैं।)
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आप सरीखे कला-संस्कृति-साहित्य के पारखी के हाथों में इस पुस्तक का आना ही मेरा सौभाग्य है। आपने काव्य संग्रह “तुम मेरा हस्ताक्षर” के समग्र भाव को जिस सहृदयता से प्रस्तुत किया इसके लिए हृदय तल से आभारी हूँ।
बहुत अच्छा प्रस्तावन है झा साब। आर्या झा का पहला कविता संग्रह है यह लेकिन इसमें परिपक्वता की पर्याप्त झलक है। संवेदना में पगी ये कविताएं निर्मल मन की अभिव्यक्ति हैं।
धन्यवाद ओम जी!💐
आपके प्रोत्साहन से अभिभूत हूँ..
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय!
बेहतरीन समीक्षा ,कविताओं की सुंदर झलक
बहुत-बहुत धन्यवाद आपको