Brain eating amoeba: दिमाग खाने वाले अमीबा से मर रहे हैं लोग

केरल ( Keral) में एक अजीब बीमारी से हुई बच्‍चे की मौत ने देश के चिकित्‍सा विशेषज्ञों को परेशानी में डाल दिया है। यह बीमारी अमीबा( Amoeba) से फैलती है और सीधे दिमाग (Brain) पर असर करती है। संक्रमण ( infection) के 15 दिनों के बीच ही संक्रमित व्‍यक्ति की मौत हो जाती है। जिस अमीबा से यह फैलती है उसे निगलेरिया फाउलेरी ( Naegleria fowleri amoeba) कहते हैं। यह मिट्टी में होता है और वहां से बारिश के साथ तालाब आदि के पानी में चला जाता है। यदि कोई ऐसे तालाब में नहाता है जिसमें यह अमीबा है तो उसे अमीबिक मेंनिंगोइंसेफेलाइटिस ( amebic meningoencephalitis) होने की अधिक संभावना होती है। इसका संक्रमण नाक और कान ( nose and ear) से होता है।

दिमाग खानेवाला अमीबा
Written By : रामधनी द्विवेदी | Updated on: July 6, 2024 1:37 pm

अमर होता है अमीबा

अमीबा एक कोशिकीय ( unicellular) जीव है जो अमर होता है। यह किसी दवा से नहीं मरता और अपने को तेजी से बढ़ाता है। प्रतिकूल परिस्थितियों में यह चुपचाप अपनी जीवन क्रियाएं रोक देता है और अवसर आने पर फिर सक्रिय हो जाता है। इसी से अभी तक इस बीमारी का इलाज नहीं ढूंढ़ा जा सका है। लेकिन भारत में इस बीमारी से अभी तक सात लोगों को कई दवाओं की मदद से बचाया जा चुका है। इसकी जांच को कोई ठोस तरीका नहीं ढूढ़ा गया है। अमेरिका में रीढ़ की हड्डी ( cerebrospinal fluid) से पानी निकाल कर उसकी जांच करने का तरीका इस्‍तेमाल किया जाता है। भारत की सभी लैब में यह सुविधा भी उपलब्‍ध नहीं है।

केरल से फैली बीमारी

भारत में सबसे पहले यह बीमारी 2016 में देखी गई और वह भी केरल में ही। उसके बाद से वहां अब तक आठ मरीज इससे मर चुके हैं। अन्‍य राज्‍यों में भी इसके मरीज देखे जाते हैं। सबसे पहले दुनिया में इसकी पहचान 1968 में अमेरिका में हुई जिससे अब तक वहां डेढ़ सौ से अधिक मरीज मिले जिनमें अधिकतर की मौत हो गई। भारत, पाकिस्‍तान और एशिया के अन्‍य देशों में भी इसके मरीज मिलते हैं।

पांच दिन में दिखते हैं लक्षण

जब कोई संक्रमित पानी में नहाता है तो यह नाक और कान के जरिये मस्तिष्‍क तक पहुंच जाता है। वहां उसकी संख्‍या तेजी से बढ़ती है। ब्रेन की कोशिकाओं के प्रभावित होने से उनमें सूजन आने लगती है। इसके बाद वह इन कोशिकाओं को खाने लगता है और तेजी से बढ़ता है। Brain संक्रमण के पांच दिन के भीतर बुखार, सिर दर्द, मिचली, उल्‍टी और गर्दन में दर्द आदि के रूप में इसके लक्षण आने लगते हैं। कभी- कभी बीमारी के लक्षण संक्रमण के एक महीने बाद भी दिखते हैं। यह‍ इस पर निर्भर है कि संक्रमण कितना गंभीर है। बीमारी अधिक बढ़ने पर झटके आते हैं, मरीज को भ्रम होने लगता है, वह किसी को पहचानता नहीं और अंत में मौत हो जाती है।

गर्म माहौल में तेजी से बढता है अमीबा

यह पानी में 46‍ डिग्री तक जिंदा रह सकता है लेकिन अत्‍यधिक ठंडे तापमान में मर जाता है। यह गर्म वातावरण में अधिक तेजी से बढ़ता है। शरीर का तापमान इसके लिए सबसे मुफीद होता है। उत्‍तर भारत और देश के कई भागों की मिट्टी में जो कई तरह के अमीबा पाये जाते हैं,उनमें निगलेरिया फाउलेरी भी है। इससे बचने का बस एकमात्र उपाय है कि गर्मी और बारिश के दिनों में तालाब और नदियों में नहाने से बचा जाए।

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