राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सी.पी.राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला समेत कई केंद्रीय मंत्री और विपक्षी नेता मौजूद रहे।
राधाकृष्णन भारत के 15वें उपराष्ट्रपति बने हैं। यह पद जुलाई 2025 में खाली हो गया था, जब तत्कालीन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद 9 सितंबर को चुनाव कराया गया, जिसमें राधाकृष्णन ने विपक्षी उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को हराकर जीत दर्ज की। उन्हें 452 मत मिले, जबकि रेड्डी को 300 वोट मिले। इस तरह 152 मतों के अंतर से उन्होंने जीत हासिल की। कई रिपोर्टों के अनुसार मतदान में क्रॉस-वोटिंग भी देखने को मिली, जिसने विपक्ष की एकजुटता पर सवाल खड़े कर दिए।
सी.पी. राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर लंबा और विविधतापूर्ण रहा है। 1957 में तमिलनाडु के कोयंबटूर में जन्मे राधाकृष्णन दो बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं। वे भारतीय जनता पार्टी की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष भी रहे और संगठन में विभिन्न जिम्मेदारियाँ संभालीं। हाल ही में वे महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में कार्यरत थे। सादगीपूर्ण जीवन, ईमानदार छवि और संगठनात्मक क्षमता के लिए उन्हें जाना जाता है।
शपथ ग्रहण के बाद राधाकृष्णन ने कहा कि वे सदन को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से संचालित करेंगे और विपक्ष व सत्ता पक्ष के बीच संवाद को बढ़ावा देंगे। उन्होंने भरोसा दिलाया कि उनकी प्राथमिकता लोकतांत्रिक परंपराओं और जनता के हितों को मजबूती देना होगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह चुनाव एनडीए की ताकत को दिखाता है और आने वाले संसदीय सत्रों में उपराष्ट्रपति की भूमिका अहम साबित होगी। राज्यसभा के सभापति (Rajya Sabha Chairman) के तौर पर राधाकृष्णन को न केवल विधायी कार्यवाही संभालनी होगी, बल्कि केंद्र और विपक्ष के बीच संतुलन भी साधना होगा।
सी.पी.राधाकृष्णन की जीत से भाजपा और सहयोगी दलों को मजबूती मिली है, वहीं विपक्ष के लिए यह हार एक चेतावनी मानी जा रही है। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि नए उपराष्ट्रपति संसद की कार्यवाही को किस दिशा में ले जाते हैं।
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