छठ पर्व केवल बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब यह विश्व के कई देशों में भारतीय और नेपाली समुदायों की पहचान बन चुका है।
मूल रूप से सूर्य उपासना और पर्यावरण व पारिवारिक शुद्धता का पर्व, छठ की परंपरा अब 20 से अधिक देशों में मनाई जा रही है। नेपाल के तराई इलाकों — जनकपुर, बीरगंज, बिराटनगर और लहान — में तो इसकी वही पारंपरिक रौनक देखने को मिलती है जो पटना या मुजफ्फरपुर में होती है।
मॉरीशस में छठ को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया है। वहां के समुद्र तटों और झीलों पर सूर्यास्त के समय बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र होकर अर्घ्य अर्पित करते हैं। फिजी, सूरीनाम और त्रिनिदाद-टोबैगो जैसे देशों में भी भोजपुरी मूल के परिवार सामूहिक रूप से छठ घाट सजाते हैं।
अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भारतीय मूल के लोगों ने इस पर्व को अंतरराष्ट्रीय पहचान दी है। न्यूयॉर्क, टोरंटो, सिडनी और लंदन में झीलों व नदियों के किनारे सामूहिक छठ पूजा के आयोजन हर साल बड़े स्तर पर किए जाते हैं। वहीं खाड़ी देशों — विशेषकर दुबई, कुवैत, कतर और अबूधाबी — में कामकाजी भारतीय समुदाय सीमित साधनों के बावजूद आस्था से इस परंपरा को निभा रहे हैं।
बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में इस पर्व की तैयारियां कई दिन पहले से शुरू हो जाती हैं। घर-घर में स्वच्छता, सादगी और शुद्धता का वातावरण रहता है। व्रतियों के लिए यह पर्व संयम, श्रद्धा और पर्यावरण संतुलन का प्रतीक है।
आज छठ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि प्रवासी भारतीयों की सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ाव का प्रतीक बन चुका है। जिस तरह सूर्य की किरणें हर दिशा को आलोकित करती हैं, उसी तरह बिहार की यह लोक-परंपरा अब पूरी दुनिया में भारतीय संस्कृति की उजास फैला रही है।
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