अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा अदाणी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों को लेकर वरिष्ठ वकील और पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि चार्जशीट में गौतम अडानी और सागर अडानी का नाम कहीं नहीं है, और उन पर किसी तरह के घूस या अन्य अवैध गतिविधियों का सीधा आरोप नहीं है।
उन्होंने बताया कि आरोप-पत्र में कुल पांच आरोप हैं, जिनमें पहले और पांचवें आरोप को प्रमुख बताया गया है। इन आरोपों का विश्लेषण करते हुए उन्होंने कहा कि अदाणी परिवार के किसी भी सदस्य का नाम इनमें शामिल नहीं है। पहले आरोप में विदेशी भ्रष्टाचार रोकथाम कानून (Foreign Corrupt Practices Act) के उल्लंघन की साजिश का उल्लेख है, लेकिन इसमें अदाणी समूह से जुड़े किसी व्यक्ति का नाम शामिल नहीं है।
अडानी समूह की कानूनी तैयारी
रोहतगी ने स्पष्ट किया कि चार्जशीट में अडानी समूह के नाम केवल कुछ वित्तीय प्रतिभूतियों और बांड से संबंधित मामलों में आए हैं। इसके अलावा, पांचवें आरोप, जो न्याय में बाधा डालने से संबंधित है, में भी अडानी समूह के अधिकारियों या सदस्यों का नाम नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि अडानी समूह जल्द ही इस मामले में कानूनी प्रक्रिया के तहत जवाब देगा।
स्पष्टता की कमी पर सवाल
उन्होंने चार्जशीट की भाषा और इसके विवरणों पर भी सवाल उठाए। उनके अनुसार, चार्जशीट में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि किसने रिश्वत दी, किसे दी, या किस उद्देश्य के लिए दी गई। उन्होंने इसे आरोपों में गंभीर अस्पष्टता बताया।
“ऐसी स्थिति में जब दस्तावेजों में किसी विशेष व्यक्ति या घटना का उल्लेख ही नहीं है, तो आरोपों का जवाब देना बेहद मुश्किल हो जाता है।”
कानूनी विशेषज्ञता से होगी जवाबी कार्रवाई
रोहतगी ने भरोसा जताया कि अडानी समूह अमेरिकी वकीलों से सलाह लेकर आरोपों का मजबूती से जवाब देगा। उन्होंने कहा कि इस मामले में अडानी समूह पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए सटीक और तथ्यात्मक तरीके से अपनी स्थिति स्पष्ट करेगा।
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