नई दिल्ली: कांग्रेस ने उस बैठक पर कड़ा ऐतराज जताया है, जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) के चयन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया। कांग्रेस का कहना है कि जब इस नियुक्ति से जुड़ा कानून सुप्रीम कोर्ट में चुनौती का सामना कर रहा है, तो इस विषय पर कोई भी निर्णय लेने से पहले अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इस बैठक में हिस्सा लिया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद थे। हालांकि, बैठक के बाद उन्होंने एक असहमति पत्र (डिसेंट नोट) सौंपा और कहा कि यह बैठक स्थगित होनी चाहिए थी क्योंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
सरकार का पक्ष
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने चयन प्रक्रिया को टालने से इनकार कर दिया क्योंकि इससे चुनाव आयोग में एक महत्वपूर्ण पद खाली रह जाता। सूत्रों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्ति पर कोई रोक नहीं लगाई थी और कानूनी सलाह लेने के बाद ही चयन समिति को आगे बढ़ने के लिए कहा गया।
नया कानून और विवाद
पारंपरिक रूप से, भारत के राष्ट्रपति मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति करते हैं, जिसमें प्रधानमंत्री की सलाह प्रमुख भूमिका निभाती है। आमतौर पर सबसे वरिष्ठ चुनाव आयुक्त को CEC नियुक्त किया जाता है, जिसके अनुसार ज्ञानेश कुमार को नया CEC बनाया जा सकता है।
लेकिन इस बार नियुक्ति एक नए कानून के तहत हो रही है –
“मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और कार्यकाल) अधिनियम, 2023″।
इस कानून के तहत –
सुप्रीम कोर्ट में चुनौती क्यों?
इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है क्योंकि इसमें चुनाव आयुक्तों के चयन समिति से भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को हटा दिया गया है और उनकी जगह प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय मंत्री को शामिल किया गया है।
2023 में, सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि जब तक संसद कोई कानून नहीं बनाती, तब तक चयन समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और भारत के मुख्य न्यायाधीश को शामिल किया जाना चाहिए। लेकिन दिसंबर 2023 में सरकार ने नया कानून पास कर दिया और CJI की जगह केंद्रीय मंत्री को शामिल कर दिया, जिसे लेकर विपक्ष आपत्ति जता रहा है।
कांग्रेस का आरोप
कांग्रेस का कहना है कि सरकार चुनाव आयोग पर नियंत्रण चाहती है और उसे चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता की कोई परवाह नहीं है। कांग्रेस के सूत्रों ने कहा,
“हम अहंकार में काम नहीं कर सकते, जब सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर सुनवाई करने वाला है, तो बैठक स्थगित होनी चाहिए।”
अब आगे क्या?
अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या रुख अपनाता है और चुनाव आयोग की स्वतंत्रता व निष्पक्षता को लेकर क्या निर्देश देता है।
यह भी पढ़े:दिल्ली रेलवे स्टेशन भगदड़: मरने वालों की संख्या 18 पहुंची, लापता लोगों की तलाश में जुटे परिजन