‘क्राउनिंग ज्वेल्स: द इलस्ट्रेटेड रेयर बुक्स’ प्रदर्शनी पुरानी किताबों की खुशबू, दुर्लभ चित्रों की कहानियों और इतिहास के अनछुए पन्नों से रूबरू कराती है। यह प्रदर्शनी ऐतिहासिक ग्रंथों से लिए गए चित्रों, लिथोग्राफ, नक्काशी और वुडकट्स के माध्यम से अतीत की खूबसूरती को जीवंत करती है। अगर आप दुर्लभ पुस्तकों और ऐतिहासिक कलाकृतियों के शौकीन हैं, तो यह एक ऐसा अनुभव है, जो आपको सदियों पुराने अतीत में ले जाएगा। इस प्रदर्शनी की कुछ खासियतें हैः
• दुर्लभ ग्रंथों की अनूठी झलक – सदियों पुरानी किताबों में छिपे रहस्यमयी चित्र!
• अद्भुत ऐतिहासिक कला – ऐतिहासिक धरोहरों, शहरों और प्रकृति के दुर्लभ चित्र!
• पुस्तक प्रेमियों के लिए स्वर्ग – ऐसी किताबें, जो आज सिर्फ संग्रहालयों में देखने को मिलती हैं!
यह प्रदर्शनी एक ऐसा मौका है, जहां इतिहास के पन्नों में छिपी कलाकारी आपकी आंखों के सामने होगी।
कला निधि के स्थापना दिवस पर निम्नलिखित प्रकाशनों का भी विमोचन किया गया:
1. सूक्ष्मचित्रित पांडुलिपियों की ई-विवरण पञ्जिका — स्तोत्र खंड-5 (भाग 1-6), जिसका संपादन प्रो. रमेश चंद्र गौड़ एवं अन्य विद्वानों ने किया है।
2. पांच टेगोर फेलोशिप/छात्रवृत्ति प्रकाशनों का विमोचन।
3. आईजीएनसीए की छमाही शोध पत्रिका कलाकल्प के वसंत पंचमी, 2025 अंक का विमोचन।
कार्यक्रम की अध्यक्षता इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के अध्यक्ष श्री रामबहादुर राय ने की, जबकि मुख्य अतिथि थे जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मजहर आसिफ। श्री रामबहादुर राय ने कहा कि यह भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का दौर है। वहीं प्रो. मजहर आसिफ ने कहा कि भारत की संस्कृति का मूल प्रेम और ज्ञान है।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी और सम्माननीय अतिथि के रूप में केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव सुश्री लिली पांडेय ने भी अपने विचार व्यक्त किए। स्वागत वक्तव्य आईजीएनसीए के कला निधि प्रभाग के अध्यक्ष व डीन (प्रशासन) प्रो. रमेश चंद्र गौड़ ने दिया। इस अवसर पर कलानिधि विभाग के अद्वितीय योगदान और भारत की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए किए जा रहे कार्यों की सराहना की गई। समारोह में बड़ी संख्या में विद्वान, शोधकर्ता और संस्कृति प्रेमी उपस्थित रहे।
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