पुलिस के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय हथियार तस्कर गिरोह के सदस्य पश्चिमी दिल्ली और रोहिणी इलाके में सक्रिय थे और इन्हें लंबे समय से निगरानी में रखा गया था। ये तस्कर पंजाब, हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर के कई खूंखार गैंगस्टरों से जुड़े हुए थे। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि ये लोग लॉरेंस बिश्नोई, बमबीहा और अन्य कुख्यात गिरोहों तक हाई-एंड हथियार पहुंचाते थे।
क्राइम ब्रांच का दावा है कि बरामद हथियारों में तुर्की की निर्मित 5 आधुनिक पिस्तौल और चीन की 3 पिस्तौल शामिल हैं। पुलिस का कहना है कि इस नेटवर्क के पाकिस्तान से संबंधों की जांच की जा रही है। यह भी बताया गया है कि तस्कर पंजाब के सीमाई इलाकों में ड्रोन ड्रॉप्स के जरिए हथियार प्राप्त करते थे और फिर इन्हें दिल्ली सहित उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में सप्लाई करते थे।
इनकी गिरफ्तारी को गंभीर सुरक्षा खतरे को देखते हुए इसे एक बड़ी सफलता बताया जा रहा है। पुलिस के अनुसार, यह मॉड्यूल बेहद संगठित तरीके से काम करता था और इसके हैंडलर पाकिस्तान में बैठकर तस्करी की पूरी सप्लाई चेन को नियंत्रित करते थे। दिल्ली पुलिस [Delhi Police] ने कहा है कि पूछताछ के आधार पर इस नेटवर्क के कई और सदस्यों की पहचान की जा रही है और जल्द और गिरफ्तारियाँ हो सकती हैं। पुलिस का मानना है कि इस तरह के विदेशी हथियार गैंगवार, फिरौती और सुपारी किलिंग जैसी वारदातों को बढ़ावा देते हैं, इसलिए इन नेटवर्कों को तोड़ना बेहद जरूरी है।
इस मामले ने एक बार फिर भारत-पाक सीमा पर ड्रोन के जरिए हो रही तस्करी और उसकी सुरक्षा चुनौतियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि हाई-टेक हथियारों की अंतरराष्ट्रीय तस्करी न केवल अपराध जगत को मजबूत करती है, बल्कि आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा भी साबित हो सकती है। क्राइम ब्रांच ने स्पष्ट किया है कि यह सिर्फ शुरुआत है और आने वाले दिनों में इस पूरे नेटवर्क की गहन जांच की जाएगी।
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