दिल्ली ब्लास्ट की जांच कर रही एजेंसियों को शाहीन सईद के लखनऊ स्थित आवास से कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, दस्तावेज और रासायनिक नमूने मिले हैं। सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि उन्होंने एक महिला नेटवर्क बनाया था जो मेडिकल क्षेत्र में काम करने वाली युवतियों के माध्यम से मॉड्यूल को सुरक्षित लॉजिस्टिक सहायता पहुंचा रहा था। शाहीन के पिता सईद अहमद अंसारी और भाई परवेज सईद को भी हिरासत में लिया गया है। परिवार के मोबाइल फोन, हार्ड डिस्क और लैपटॉप एनआईए ने अपने कब्जे में ले लिए हैं।
बताया जा रहा है कि दिल्ली ब्लास्ट मामले में अब तक जिन 22 लोगों को हिरासत में लिया गया है उनमें 4 डॉक्टर हैं। एक मौलवी के अलावा 17 संदिग्ध हैं. पांच लोगों को पूछताछ के बाद छोड़ा गया है . जम्मू-कश्मीर पुलिस पूरी घाटी में अभियान चला रही है जिसमें अब तक करीब 900 लोगों से पूछताछ हुई है, जिनमें पूर्व जमात-ए-इस्लामी कैडर और संदिग्ध गतिविधियों से जुड़े लोग शामिल हैं.
खबरों के मुताबिक, डॉक्टरों का आतंकी मॉड्यूल हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी के कुछ छात्रों और कश्मीर के डॉक्टर मुज़म्मिल गनाई से जुड़ा बताया जा रहा है। इस नेटवर्क से लगभग 2,900 किलो विस्फोटक सामग्री की बरामदगी हुई है। जांच में यह भी सामने आया है कि कुछ सदस्यों ने 2025 की शुरुआत में लालकिला क्षेत्र की रेकी की थी। एनआईए का मानना है कि इस पूरी साजिश को अंजाम देने के लिए स्थानीय मददगारों का भी इस्तेमाल किया गया।
दिल्ली पुलिस और एनआईए की फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल से करीब 40 सैंपल इकट्ठा किए हैं, जिनमें गाड़ी के हिस्से, विस्फोटक अवशेष और कपड़े शामिल हैं। जांच में यह भी शक जताया गया है कि कार में रखा बम समय से पहले फट गया, जिससे साजिश के पूरे पैमाने पर अमल नहीं हो सका। गृह मंत्रालय ने इस घटना को “राष्ट्रीय सुरक्षा पर सुनियोजित हमला” बताते हुए एनआईए को जांच सौंपी है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सभी एजेंसियों को निर्देश दिया है कि “साजिश के हर सूत्र तक पहुंचा जाए और दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा न जाए।”दिल्ली सरकार ने मृतकों के परिवारों के लिए दस लाख रुपये का मुआवजा घोषित किया है, वहीं पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सुरक्षा-व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। जांच एजेंसियों को अब मॉड्यूल के विदेशी संबंधों और डिजिटल संपर्क श्रृंखला की पड़ताल करनी है, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि शाहीन सईद और उनके सहयोगी इतने लंबे समय तक विस्फोटक संग्रह कैसे करते रहे और किन स्रोतों से उन्हें मदद मिली। समाचार लिखे जाने तक इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर अभी बैठक चल रही है जिसमें गृहमंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह के अलावा सीसीएस भी हैं।
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