Delhi Chandni Chowk : Exit Poll में BJP पर भारी है Congress

चांदनी चौक संसदीय क्षेत्र दिल्ली का प्रतिनिधित्व करने वाले सात संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है । इस सीट पर कांग्रेस से राजनीति के पुराने खिलाड़ी जेपी अग्रवाल का मुकाबला भाजपा के उम्मीदवार प्रवीण खंडेलवाल से है।

कांग्रेस के उम्मीदवार जेपी अग्रवाल और भाजपा के प्रवीण खंडेलवाल
Written By : दीक्षा शर्मा | Updated on: June 3, 2024 9:04 pm

चांदनी चौक संसदीय क्षेत्र (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 1), राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली का प्रतिनिधित्व करने वाले सात संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। इस सीट पर कांग्रेस से राजनीति के पुराने खिलाड़ी जेपी अग्रवाल का मुकाबला भाजपा के उम्मीदवार प्रवीण खंडेलवाल से है। एग्जिट पोल के मुताबिक चांदनी चौक सीट इंडिया गठबंधन के खाते में जा सकती है।

क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का सबसे छोटा क्षेत्र

अक्सर पुरानी दिल्ली के रूप में जाना जाने वाला चांदनी चौक एक हलचल भरा, घनी आबादी वाला इलाका है जो कि क्षेत्रफल की दृष्टि से देश की सबसे छोटी लोकसभा सीट है , जिनमें अवैध अतिक्रमण, सड़कों पर ट्रैफिक का दबाव, खराब बुनियादी ढांचे जैसी नागरिक सुविधाओं और पानी की किल्लत जैसी समस्याओं का सामना लोगों को करना पड़ता है।

चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली 10 विधानसभा सीटें ये हैं-

आदर्श नगर
शालीमार बाग
शकूरबस्ती
त्रिनगर
वजीरपुर
मॉडल टाउन
सदर बाजार
चांदनी चौक
मटिया महल
बल्लीमारान
ये सभी 10 सीटें आम आदमी पार्टी के कब्जे में है। 2020 के विधानसभा चुनावों में यहां किसी भी सीट पर बीजेपी का खाता तक नहीं खुल पाया था।

व्यापारी समुदाय की प्रभावी भूमिका

चांदनी चौक लोकसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला है। यहां करीब 25 प्रतिशत वैश्य और व्यापारी समुदाय प्रभावी भूमिका में है, इसलिए दोनों दलों ने यहां से वैश्य समुदाय से प्रत्याशी उतारा है। भाजपा से अब तक डॉ. हर्षवर्धन चुनाव लड़ते रहते रहे हैं, लेकिन पार्टी ने इस बार उनका टिकट काट कर प्रवीण खंडेलवाल को दे दिया है। यह प्रवीण का पहला लोकसभा चुनाव है।उनका मुकाबला कांग्रेस के 79 जेपी अग्रवाल से है। जेपी अग्रवाल अब तक 10 बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। 1984, 1989 और 1996 में वे इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

चांदनी चौक लोकसभा सीट का इतिहास 

1956 में यह सीट अस्तित्व में आई थी। डॉ. हर्षवर्धन इस सीट पर भाजपा सांसद हैं। उन्होंने कांग्रेस के जय प्रकाश अग्रवाल और आम आदमी पार्टी के पंकज गुप्ता को हराया था। वैसे तो इस सीट पर कांग्रेस का ही दबदबा रहा है। 2019 तक के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने यहां से 9 बार जीत दर्ज की तो भाजपा ने पांच बार जीत हासिल की। 1957 में पहली बार इस सीट पर चुनाव हुए थे और कांग्रेस के राधा रमण ने जीत दर्ज की थी। 1962 में कांग्रेस के शाम नाथ यहां से कांग्रेस के टिकट पर जीते। हालांकि 1967 में बाजी पलट गई और भारतीय जनसंघ के आर गोपाल चुनाव जीत गए। 1971 में फिर से कांग्रेस की वापसी हुई और सुभद्रा जोशी सांसद बनीं। 1977 में इस सीट पर बीएलडी का कब्जा हो गया। इसके बाद 1980. 1984 और 1989 में कांग्रेस ने लगातार तीन बार जीत दर्ज की। 1991 में पहली बार चांदनी चौक की सीट भाजपा के कब्जे में गई और ताराचंद खंडेलवाल यहां से सांसद चुने गए। 1996 में कांग्रेस के जय प्रकाश अग्रवाल ने जीत हासिल की। इसके बाद भाजपा के विजय गोयल इस सीट पर काबिज हो गए। 2004 और 2009 के चुनाव में कांग्रेस के कपिल सिब्बल यहां से सांसद चुने गए। इसके बाद लगातार दो बार डॉ. हर्षवर्धन यहां से सांसद चुने गए जो कि वर्तमान में सांसद हैं।
पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के डॉ. हर्षवर्धन  यहां भारी मतों से जीते। उनके सामने कांग्रेस के जयप्रकाश अग्रवाल खड़े थे, लेकिन वो बीजेपी की जीत को रोक नहीं पाए। बीजेपी के डॉ हर्षवर्धन को चांदनी चौक सीट पर कुल 44.67% वोट शेयर के साथ 4,37,938 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के जयप्रकाश अग्रवाल को 29.67% वोट शेयर के साथ 2,90,910 वोट मिले। वहीं आम आदमी पार्टी को महज 14 फीसदी वोट मिले।

कुल कितने मतदाता ?

यहां कुल वोटरों की संख्या 15,61,828 है। इसमें पुरुषों की संख्या 8,48,303 और महिला वोटरों की संख्या करीब 7,13,393 है।इस सीट पर वैश्य समुदाय के वोटरों की सबसे अधिक संख्या मानी जाती है। राजनीतिक दलों का आकलन है कि इस संसदीय सीट पर लगभग 17 फीसदी वैश्य वोटर हैं, जबकि 14 प्रतिशत मुस्लिम समुदाय के हैं।  इनके अलावा लगभग 14 प्रतिशत पंजाबी और लगभग 16 प्रतिशत अनुसूचित जाति वर्ग के हैं!

जय प्रकाश अग्रवाल है राजनीति के काफी बड़े खिलाड़ी

जयप्रकाश अग्रवाल कांग्रेस के काफी अनुभवी नेता हैं. वो पूर्वी दिल्ली और चांदनी चौक की सीट से चुनाव जीत चुके हैं. व्यापारी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले जेपी अग्रवाल की चांदनी चौक सीट पर काफी अच्छी पकड़ मानी जाती है. 79 साल के जेपी अग्रवाल का जन्म 11 नवंबर 1944 को हुआ था. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की है. इसके साथ ही उन्होंने ASVJ स्कूल से अपनी हाईस्कूल की पढ़ाई की है।
जेपी अग्रवाल साल 1983 से लेकर 1984 तक दिल्ली के उपमहापौर रहे. इसके बाद 1984-1989 में 8वीं लोकसभा, 1989-1991 तक 9वीं लोकसभा और 1996-1998 तक वो 11वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए. इसके बाद साल 2006 से लेकर 2009 तक दौरान वो दिल्ली से राज्यसभा सदस्य के रूप में भी चुने गए. इसके बाद साल 2009 में 15वीं लोकसभा चुनाव के दौरान करीब 2 लाख वोटों से चुनाव जीतकर सदन पहुंचे. इसके बाद हाउस कमेटी के अध्यक्ष, शहरी विकास समिति के सदस्य, सामान्य प्रयोजन समिति के सदस्य, जेपीसी दूरसंचार लाइसेंस और स्पेक्ट्रम के आवंटन और मूल्य निर्धारण से संबंधित मामलों की जांच में भी वो सदस्य बने.

कांग्रेस की अंदरूनी कलह सामने आई 

दिल्ली में लोकसभा चुनाव की वोटिंग के बाद कांग्रेस में अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गई है. चांदनी चौक लोकसभा सीट से पार्टी के उम्मीदवार जेपी अग्रवाल के बेटे मुदित अग्रवाल ने पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व विधायक हरिशंकर गुप्ता पर चुनाव में गड़बड़ी करने के साथ-साथ अपनी चचेरी बहन को डराने-धमकाने  का आरोप लगाया है. वहीं, हरिशंकर गुप्ता ने मुदित के सभी आरोपों का अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में खंडन करते हुए झूठा बताया है.
बता दें कि जेपी अग्रवाल को कांग्रेस पार्टी ने 2014 और 2019 के चुनावों में भी उतारा था, लेकिन मोदी लहर में जेपी अग्रवाल लगातार यह दोनों चुनाव हार गए. अब एक बार फिर कांग्रेस पार्टी ने उनकी सीट बदलकर चांदनी चौक कर दिया है. जेपी का दावा है कि वह इस बार चांदनी चौक लोकसभा सीट से जीत हासिल करेंगे.

प्रवीण खंडेलवाल लोकसभा राजनीति में नए किंतु व्यापारियों के बीच काफी सक्रिय हैं

बात करें प्रवीण खंडेलवाल की तो वे दिल्ली के एक  businessman हैं और दिल्ली के व्यापारियों के बीच अच्छी पकड़ रखते हैं। वह ‘कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स’ नामक संगठन के संस्थापक और राष्ट्रीय महासचिव हैं। यह भारत के व्यापारियों और एसएमआई क्षेत्र का सबसे बड़ा निकाय है। इसके अलावा खंडेलवाल व्यापार और अर्थव्यवस्था के एक्सपर्ट भी हैं।खंडेलवाल को साल 2017 में जीएसटी पैनल का हिस्सा बनने के लिए नामांकित किया गया था. इसके अलावा, 5 जुलाई 2021 को उन्हें केंद्र सरकार के पैनल के सलाहकार के रूप में ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) का सदस्य बनाया गया था। खंडलेवाल दिल्ली विश्वविद्यालय के स्टूडेंट रहे हैं। उन्होंने डीयू के रामजस कॉलेज से साल 1980 में बीए किया। डीयू से 1983 में उन्होंने एलएलबी की। खंडेलवाल 1993 से 1998 तक विधायक रहे. इससे पहले ये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और जनसंघ से भी जुड़े रहे. इसके अलावा ये 17 साल तक पार्षद और डिप्टी मेयर भी रहे.  प्रवीण खंडेलवान के ताऊजी सतीश खंडेलवाल भी राजनीति में रह चुके हैं ।

खंडेलवाल ने देश भर में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार के लिए’भारतीय सामान – हमारा गौरव’ नामक अभियान शुरू किया था. इस अभियान का लक्ष्य चीन में बनी वस्तुओं के आयात में एक लाख करोड़ (13 अरब अमरीकी डॉलर) की कमी लाना था।

खंडेलवाल ने की घोषणा

खंडेलवाल ने जन-संपर्क अभियान करते हुए घोषणा की है कि अगर वे सांसद बने तो पटरी पर बैठ कर जन-चौपाल लगाकर क्षेत्र के लोगों की समस्याओं का समाधान करेंगे और किसी बंद कमरे में नहीं बैठेंगे. साथ ही पीएम मोदी की गारंटी योजना को घर घर पहुंचाएंगे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *