राजधानी दिल्ली की चांदनी चौक सीट पर भी BJP अपना झंडा गाड़ दिया है। भाजपा प्रत्याशी प्रवीण खंडेलवाल (Pravin Khandelwal) चांदनी चौक से चुनाव जीत गए हैं। खंडेलवाल ने 89,324 वोटों से congress के जेपी अग्रवाल को हराया। बता दें कि ये खण्डेलवाल जी का पहला लोकसभा चुनाव था।
कुल कितने वोट मिले
प्रवीण खंडेलवाल को कुल 5,16,496 वोट मिले , वहीं निकटतम प्रतिद्वंदी रहे जेपी अग्रवाल 4,27,171 वोट ही पा सके । तीसरे नंबर पर रहे बसपा के अबुल कलाम आजाद को केवल 5829 वोट ही मिल पाए । खंडेलवाल और अग्रवाल में कांटे की टक्कर रही। पूरे दिन कभी खंडेलवाल तो कभी अग्रवाल वोटों की गिनती में आगे पीछे होते नज़र आए । इस सीट पर नोटा को हटाकर कुल 25 उम्मीदवार थे।
2024 में कुल मतदाता
2024 में चांदनी चौक सीट पर कुल 16,09,730 मतदाता दर्ज हैं । इसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 866127 एवं महिला मतदाताओं की संख्या 7,43,443 और 160 थर्ड जेंडर हैं।
जानें सांसद प्रवीण खंडेलवाल के बारे में
प्रवीण खण्डेलवाल,दिल्ली के एक businessman हैं और दिल्ली के व्यापारियों के बीच अच्छी पकड़ रखते हैं। वह ‘कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स’ (CAIT) नामक संगठन के संस्थापक और राष्ट्रीय महासचिव हैं। यह भारत के व्यापारियों और एसएमआई क्षेत्र का सबसे बड़ा निकाय है। इसके अलावा खंडेलवाल व्यापार और अर्थव्यवस्था के एक्सपर्ट भी हैं। खंडेलवाल को साल 2017 में जीएसटी पैनल का हिस्सा बनने के लिए नामांकित किया गया था. इसके अलावा, 5 जुलाई 2021 को उन्हें केंद्र सरकार के पैनल के सलाहकार के रूप में ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) का सदस्य बनाया गया था।
डीयू के रामजस कॉलेज के छात्र रहे हैं खंडेलवाल
खंडलेवाल दिल्ली विश्वविद्यालय के स्टूडेंट रहे हैं। उन्होंने डीयू के रामजस कॉलेज से साल 1980 में बीए किया। डीयू से 1983 में उन्होंने एलएलबी की। खंडेलवाल 1993 से 1998 तक विधायक रहे. इससे पहले ये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और जनसंघ से भी जुड़े रहे. इसके अलावा ये 17 साल तक पार्षद और डिप्टी मेयर भी रहे. प्रवीण खंडेलवान के ताऊजी सतीश खंडेलवाल भी राजनीति में रह चुके हैं । खंडेलवाल ने देश भर में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार के लिए’भारतीय सामान – हमारा गौरव’ नामक अभियान शुरू किया था. इस अभियान का लक्ष्य चीन में बनी वस्तुओं के आयात में एक लाख करोड़ (13 अरब अमरीकी डॉलर) की कमी लाना था।
चांदनी चौक सीट के लिए कहा जाता है कि वहां के मतदाता जिसपर अपना विश्वास जताते हैं उसी की सरकार केंद्र में भी बनती है , एक बार फिर ये बात सच होती नज़र आ रही है।